Saturday, June 25, 2011

... तुम चाहे, जो चाहे कर लो !!

बदले हैं, बदलेंगे
तुम चाहे, जो चाहे कर लो
भ्रष्ट हुए, तो क्या हुए
देश हमारा, राज हमारा
जनता, नेता, खेल हमारा
हम से भिड़ना, दोबारा
एक, दो, तीन, ... नहीं
सैकड़ों-हजारों को निपटायेंगे
जो भी आया, राह में अपने
उसे दांतों चने चब-बायेंगे
पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस
सबके दाम बढ़ाएंगे
सीडब्लू हो, या हो टूजी
जो होता है, होने दो
चलता है, सब चलने दो
देश हमारा, राज हमारा
बदले हैं, बदलेंगे
तुम चाहे, जो चाहे कर लो !!

4 comments:

Sawai Singh Rajpurohit said...

बेहद खूबसूरत कविता

प्रवीण पाण्डेय said...

जो बदल गया वह मर्द कहाँ?

Kailash Sharma said...

बहुत सटीक प्रस्तुति..

Dr.J.P.Tiwari said...

आज की सच्चाई, एक कड़वा सच जिसे स्वीकार करना पड़ेगा तब तक जब तक परिस्थितियाँ बदल न जाए. एक सुन्दर आह्वान, सार्थक आह्वान , क्रांति के लिए प्रेरित करता हुआ जोशपूर्ण कथ्य. बधाई प्रयास जरूर रंग लायेगा.....