Wednesday, April 13, 2011

... बंद करो, बंद करो अब भ्रष्टाचार !!

कविता : भ्रष्टाचार

बहुत हो चुका भ्रष्टाचार
बहुत हो चुका अत्याचार
बहुत खुल चुके चोर बाजार
बहुत हो चुके मालामाल
बहुत हो चुकी टैक्स की चोरी
बहुत बिक चुके नेता-अफसर
बहुत बन गईं सरकारें हैं
बहुत हो गई कालाबाजारी
बहुत हो गई मिलावटखोरी
बहुत हो चुका माफियाराज
बहुत हो गया शिष्टाचार
चहूं ओर है फैला जग में
भ्रष्ट, भ्रष्टतम, भ्रष्टाचार
बंद करो, अब बंद करो
बंद करो अब भ्रष्टाचार !!

5 comments:

अरुण चन्द्र रॉय said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

प्रवीण पाण्डेय said...

उद्घोषात्मक पंक्तियाँ।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

जरूर बन्द होगा...

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|

डा गिरिराजशरण अग्रवाल said...

आज पहली बार आपको पढा. अच्छा लगा.
आपमें असीम संभावनाएँ हैं. डा. गिरिराजशरण अग्रवाल, संपादक शोध दिशा