Saturday, April 23, 2011

उफ़ ! हम अपने न रहे, किसी के भी न रहे !!

यादों का सफ़र, तो ताउम्र रहेगा सांथ सांथ
सच ! खुशी तो तब हो, तू चले सांथ सांथ !
...
कभी आँखों, कभी दिल, कभी तेरे होंठों की गुफ्तगू
लगे ऐसे, तेरे सिवाय ये जिन्दगी कुछ भी तो नहीं !
...
तेरी मेरी यादों के निशां, फिजाओं में बिखरे हैं
चाहें, चाहें हम, हमारे सांथ सांथ चलते हैं !
...
वक्त को दोष देना, जिन्दादिली नहीं होगी 'उदय'
हौसला रखें, चलते चलें, सफ़र अभी बांकी है !
...
किसी ने झूठी शान के खातिर गैरों को अपना कह दिया
और जो सामने थे अपने, उफ़ ! उन्हें ही गैर कह दिया !
...
किसी ने आँखें भिगो कर, भूल जाने की गुजारिश की थी
सच ! तब ही से, उन आँखों की नमी मेरे जहन में है !
...
किसी ने प्यार में, इस तरह से ठग लिया है मुझे
उफ़ ! हम अपने रहे, किसी के भी रहे !!

4 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

...
तेरी मेरी यादों के निशां, फिजाओं में बिखरे हैं
चाहें, न चाहें हम, हमारे सांथ सांथ चलते हैं..
ये सबसे उम्दा लगा..

प्रवीण पाण्डेय said...

कोई किसी का क्यों रहे?

संगीता पुरी said...

क्त को दोष देना, जिन्दादिली नहीं होगी 'उदय'
हौसला रखें, चलते चलें, सफ़र अभी बांकी है !
बहुत खूब !!

Patali-The-Village said...

बहुत अच्छे शेर| धन्यवाद|