'खुदा' ने जो नूर बख्शा है तुझे, कोहिनूर जैसा है
उफ़ ! तुझे देखूं तो बेचैनी, न देखूं तो बेचैनी !
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ए बिडू ये अपुन का थोबड़ा है, बोले तो झक्कास
जो भी देखे, तो समझ ले हो जाए यार अपना !
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उफ़ ! इतनी बड़ी सरकार, और समझदार सलाहकार कोई नहीं
गर करना है बाबाजी को बेअसर, तो कस दो नकेल भ्रष्टाचार पे !
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गर गठबंधन ही रोड़ा है, तो तोड़ दो, पर गठबंधन का रोना
उफ़ ! न जाने कब तक रो रो कर, खुदी को शर्मसार करोगे !
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एक बस्ती तलाशी थी हमने, दो घड़ी सुकूं के लिए
उफ़ ! मजहबी लोग, अब वहां भी नारे लगा रहे हैं !
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सच ! न कर गुमां, तू अपनी खूबसूरती पे
वो तो मेरी आँखों ने खुबसूरत बनाया है तुझे !
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उल्फतें, नफरतें, शरारतें, मोहब्बतें, क्या कहने
सच ! गर न हों, तो जिन्दगी में रक्खा क्या है !
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सच ! जी तो चाहे है, काश ! सिर्फ हम तुम
दो घड़ी बैठ के, चटनी संग समोसे खा लें !
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उफ़ ! तूने आँखों से, न जाने कौन-सी मय पिला दी मुझे
न तो होश में आते हैं, और न ही होता है नशा अब हमको !
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ऐश्वर्या, प्रियंका, करीना, दीपिका, अनुष्का, कैटरीना
उफ़ ! क्या गजब लटके-झटके, कैसे संभाले खुद को !!
2 comments:
बहाये पड़े हैं देश के युवाओं को।
बहुत ही सुंदर बात कही आप ने अपनी इस रचना मे, आप से सहमत हे जी गठबंधन का रोडा.... वाह
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