जब तुमने छाप ही दिया है, चेहरा मेरे महबूब का
अब क्या कहें, सच ! मेरे महबूब सा कोई दूजा नहीं है !
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सच ! हमको खबर नहीं थी, उसे चाहते हो तुम
धोखे से लड़ गई थी नजर, अब रोक लेंगे हम !
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पता नहीं क्यूं, अब खुद पे एतबार नहीं होता
जब से सुना, ये दुनिया मौकापरस्तों की है !
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खुदा का शुक्र मानो, हमसा दूजा नहीं कोई
नहीं तो, रो रो कर, कब के मर चुके होते !
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मेरा बजूद पूंछ कर, अब इम्तिहां न लो
सच ! मैं कुछ भी नहीं हूँ, एक सिवाय तिरे !
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कोई कुछ भी कहे, या ना भी कहे, कोई बात नहीं
हम तो चाहेंगे तुम्हें, जब तक हैं जवां जज्बात मिरे !
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सच ! तुम अपनी खुबसूरती पे, गुमान मत रखना
वो तो मेरी आँखें हैं, जो तुम्हें खूबसूरत बना रही हैं !
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चलो अच्छा हुआ, खुजाने-खुजवाने का शौक नहीं पाला
जमीं पे ही रगड़-घिस कर, कदम-दर-कदम बढ़ते रहे !
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तुम्हारी खामोशी, बेवजह नहीं होगी
सच ! कहीं कुछ बात तो जरुर होगी !
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बाबा रामदेव, बाबागिरी धरी रह जायेगी
गर भ्रष्ट लोगों के ज़रा भी हिमायती होगे !!
10 comments:
BAHUT HI SUNDAR LIKHA HAI AAP NEY
अचछे शेर...अच्छे भाव।
प्रभावशाली...सुंदर।
अच्छे भाव अच्छे शेर..
@सच ! तुम अपनी खुबसूरती पे, गुमान मत रखना
वो तो मेरी आँखें हैं, जो तुम्हें खूबसूरत बना रही हैं !
सभी शे्रों पर एक साध दाद समझें
अच्छी पोस्ट।
हर शेर लाजवाब।
शुभकामनाएं आपको।
बहुत अच्छे प्रभावशाली शेर| धन्यवाद|
बाबा रामदेव, बाबागिरी धरी रह जायेगी
गर भ्रष्ट लोगों के ज़रा भी हिमायती होगे !! ...अच्छे भाव अच्छे शेर..
सामयिक भाव।
Nice.....!
सार्थक प्रस्तुति, बधाईयाँ !
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