सच ! एक अर्सा हुआ, मिले-बिछड़े हुए पुराने दोस्तों संग
गर मौक़ा मिला तो, गले लगकर समय को आजमाएंगे !
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फलक से तोड़कर जगमग सितारे ले आता हूँ
जो अपनी जिन्दगी के अंधेरों में जगमगाते हैं !
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सच ! जब जब देखा है आईने में खुद को
एक मेरे सिबा सब कुछ नजर आता है !
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ताउम्र हम करते रहे फक्र, दोस्ती पर जिनकी
आज जाना, खुदगर्जी ने दोस्त बनाया था उन्हें !
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आज की जीत महज एक जीत नहीं है 'उदय'
सच ! किसी दिग्गज को हरा के हम जीते हैं !
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क्यूं न आज किसी पुराने बदले की मिठाई खा ली जाए
सच ! बाद में फायनल की राह की मिठाई खायेंगे !
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सच ! बहुत जख्म खाए थे, अंतत: हम जीत ही गए
पुराना बदला भी हुआ पूरा, और राहें भी आसान हुईं !
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किसी को बहुत गर्व था खुद पर
आज हारा तो समझ आ गया !
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जश्न तो जश्न है जीत का, जीत जाने का 'उदय'
उफ़ ! बकबक-झकझक तो चलते रहती है ! !
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आलम हो जब खुशी का, तब तीज-त्यौहार क्या देखें
सच ! जीत बेहद जरुरी थी, चलो हम जीत गए !!
2 comments:
पहले में ही मजा आ गया..
सच में जीत जरूरी थी।
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