Sunday, March 27, 2011

... जब से हमनें, हवाओं संग गुफ्तगू की है !!

आज फिर सब में, किसी ने गुड मार्निंग कहा
काश ! ये सब, हंसी, मोहक, सुहानी हो जाए !
...
सच ! जब जब देखा मैंने गौरैया को, तुम मुझको याद आईं
और जब जब देखा तुमको मैंने, तुम गौरैया सी मन को भाईँ !
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एक सच्चाई से झलके, तो सच झलके ऐसे
सच ! नजर उठे, ठहरे तो, बस ठहरी ही रहे !
...
सच ! जाने कब तलक खुद को, हम यूं ही बेचेंगे
वतन की आन, वान, शान पे जाने कब मिटेंगे !
...
सच
! अब तो हमें खुदी पे एतबार रहा
फिर भी अगर चाहो, तो हमें चाहते रहो !
...
खतों का सिलसिला, अब थम सा गया है
जब से हमनें, हवाओं संग गुफ्तगू की है !
...
तू इतना भी कर गुमां खुद पे, जीत जाने का
सच ! मैदान में तो , तुझे भी आज मायेंगे !
...
उफ़ ! सारे वतन में दलाली, दलालों का बोलबाला हुआ
हुआ है खौफ जहन में, कहीं कोई उसका सौदा करे !
...
एक अर्सा हुआ गुजरे हुए, तेरी जिन्दगी से
कभी हम याद आएं तो ज़रा मुस्कुरा लेना !
...
क्या खूब, क्या खूब, क्या खूब खबर है
बधाई, बधाई, बधाई, शुभ-शुभकामनाएं !

4 comments:

Rahul Singh said...

शब्‍बा खैर.

Dinesh Mishra said...

बहुत सुंदर....!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

हर शेर बहुत खूब ...

प्रवीण पाण्डेय said...

खतों का सिलसिला, अब थम सा गया है
जब से हमनें, हवाओं संग गुफ्तगू की है !

क्या खूब, क्या खूब, क्या खूब खबर है
बधाई, बधाई, बधाई, शुभ-शुभकामनाएं !