Thursday, March 10, 2011

हर घड़ी छुक-छुक, धुक-पुक, सी चलती है जिन्दगी !!

दो दिलों के जज्बात, चलते, बढ़ते, मिलते रहे
आज जब हम रु--रु हुए, जज्बात खिल पड़े !
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धूल, कूडा, करकट, कंकड़, अंधड़, आए, गए
उफ़ ! ये महज अफवाह थी, ग्रीष्म आने की !
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नौंक-झौंक, छीना-झपटी, खींचा-खांची, पटका-पटकी
सब से मिलकर बने है, हमें तो सतरंगी लगे है दोस्ती !
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कहें तो क्या कहें, कब तक हम गुमसुम रहें
तुम अब चुप न रहो, सच ! कह दो प्यार है !
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आज तो हम ठान के, आये थे मैकदा
लुट जायेंगे, या लूट लेंगे, साकी तुझे !
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जाने कब तक, मैं तुम्हें यूं ही देखता रहूँ
क्यों, किसलिए, देखते देखते सोचता रहूँ !
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अब क्या हम, और क्या हमारी चाहतें
झौंका हवा के हैं, आज यहाँ, कल वहां !
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खामोशी तेरी हम महसूस करते रहे, जन्नत सी रही
लव खोले जो तूने, होश उड़ गए, क़यामत गई !
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तुम्हारे साथ होने से, मैं एक दिन खोज लूंगा, सारा जहां
हर बार, बार बार, तुम मेरे संग चलते चलो, बढ़ते चलो !
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जिन्दगी के इम्तिहान, क्या गजब इम्तिहान हैं
हर घड़ी छुक-छुक, धुक-पुक, सी चलती है जिन्दगी !!

4 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

न जाने क्या हो जाये किस घड़ी?

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

imtihaan hi to hai zindagi..

निर्मला कपिला said...

जिन्दगी के इम्तिहान, क्या गजब इम्तिहान हैं
हर घड़ी छुक-छुक, धुक-पुक, सी चलती है जिन्दगी !!
बिलकुल सही कहा। जब तक ये चलती रहेगी ज़िन्दगी भी तभी तक रहेगी। ये भी कडुवा सच है।शुभकामनायें।

रवीन्द्र प्रभात said...

सार्थक प्रस्तुति, बधाईयाँ !