दो दिलों के जज्बात, चलते, बढ़ते, मिलते रहे
आज जब हम रु-ब-रु हुए, जज्बात खिल पड़े !
...
धूल, कूडा, करकट, कंकड़, अंधड़, आए, गए
उफ़ ! ये महज अफवाह थी, ग्रीष्म आने की !
...
नौंक-झौंक, छीना-झपटी, खींचा-खांची, पटका-पटकी
सब से मिलकर बने है, हमें तो सतरंगी लगे है दोस्ती !
...
कहें तो क्या कहें, कब तक हम गुमसुम रहें
तुम अब चुप न रहो, सच ! कह दो प्यार है !
...
आज तो हम ठान के, आये थे मैकदा
लुट जायेंगे, या लूट लेंगे, साकी तुझे !
...
न जाने कब तक, मैं तुम्हें यूं ही देखता रहूँ
क्यों, किसलिए, देखते देखते सोचता रहूँ !
...
अब क्या हम, और क्या हमारी चाहतें
झौंका हवा के हैं, आज यहाँ, कल वहां !
...
खामोशी तेरी हम महसूस करते रहे, जन्नत सी रही
लव खोले जो तूने, होश उड़ गए, क़यामत आ गई !
...
तुम्हारे साथ होने से, मैं एक दिन खोज लूंगा, सारा जहां
हर बार, बार बार, तुम मेरे संग चलते चलो, बढ़ते चलो !
...
जिन्दगी के इम्तिहान, क्या गजब इम्तिहान हैं
हर घड़ी छुक-छुक, धुक-पुक, सी चलती है जिन्दगी !!
4 comments:
न जाने क्या हो जाये किस घड़ी?
imtihaan hi to hai zindagi..
जिन्दगी के इम्तिहान, क्या गजब इम्तिहान हैं
हर घड़ी छुक-छुक, धुक-पुक, सी चलती है जिन्दगी !!
बिलकुल सही कहा। जब तक ये चलती रहेगी ज़िन्दगी भी तभी तक रहेगी। ये भी कडुवा सच है।शुभकामनायें।
सार्थक प्रस्तुति, बधाईयाँ !
Post a Comment