Wednesday, March 9, 2011

बस समझ लो, तुम हमें अच्छे नहीं लगते !!

सिर्फ सुर्ख गुलाब सी, खुबसूरती नहीं है तुम में
सच ! कहीं ज्यादा, गुलाब की महक है तुम में !
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सिर्फ ये अकेला बेशर्मी के आयाम नहीं गढ़ रहा
इसके हमसफ़र भी खूब मस्त-मौला हो रहे हैं !
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भ्रष्टाचार के लिए, कोई किसी एक को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता
गठबंधन, पक्ष, विपक्ष, और बिन पैंदी के सारे लोग जिम्मेदार हैं !
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नेता-अफसर, लेखक-प्रकाशक, एक-दूसरे की खुजाने में मस्त हैं
उफ़ ! इनके चक्कर में जनता अपना सिर खुजा रही है !
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सर सर, फुर फुर, हिलते डुलते,
पत्ते पत्ते, हरे हरे, हरे पत्ते, पत्ते हरे !
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जिस इमारत के शिखर पे, है बैठ तू इतरा रहा
है नहीं तुझको खबर, कि मैं तेरी बुनियाद हूँ !
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सच ! हम चाहते भी नहीं, सहेजना चाहत को
खुली फिजाओं में उड़ने दो, अब चाहत हमारी !
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सच ! मुर्दों के शहर में, भूतों की हुकूमत है
जीने की चिंता है, मरने ठिकाना है !!
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क्यूं निहार रहा हूँ मैं तुम्हें, मुझे भी पता नहीं
शायद कुछ हो वास्ता, तुमसे आँखों का मेरी !
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क्या करोगे जानकर, तुम वजह रुसवाई की
बस समझ लो, तुम हमें अच्छे नहीं लगते !!

4 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

दमदार।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

लेकिन हमें तो आप अच्छे लगते हैं..

राज भाटिय़ा said...

क्या करोगे जानकर, तुम वजह रुसवाई की
बस समझ लो, तुम हमें अच्छे नहीं लगते !!
अरे अरे इतनी भी रुस्वाई ठीक नही....

रवीन्द्र प्रभात said...

बहुत सच्ची और गहरी बात .....!