दिल से निकली दिल की बात
उफ़ ! पहुँच न पाई दिल तक !
...
कब तक आँखों से, काम चलाएं अब हम
सच ! लव खोलो, कह दो - आई लव यू !
...
अब क्या कहें, मेरी महबूबा, हवा का झोंका हुई है
उफ़ ! चले तो ठीक है, पर लगे जैसे लहराई हुई है !
...
मेरे शहर के लोग, मुझे जानते नहीं
सारे जहां में चर्चा, सरेआम है मेरी !
...
गुजरा हुआ कल, कोई बेचने को तैयार नहीं है
नहीं तो क्या, खरीददारों की लाइन लगी होती !
...
डाक्टर्स और डाक्टरी पेशा
सब के सब व्यापारी हुए हैं !
...
प्रेम, शब्द, छोटा, कठिन, उच्चारण
दिल की बातें हैं, दिल ही जाने है !!
...
उफ़ ! आप तो बस फैन निकले, काश 'एसी' होते
चलो कोई बात नहीं, अभी उतनी गर्मी नहीं है !!
...
सोचता हूँ, दिल का क्या कुसूर रहा होगा
उफ़ ! तोड़ने वालों ने बेरहमी से तोड़ दिया !
...
कल प्रियंका को देख के, दिल भावुक हुआ है
उफ़ ! लगे तो खूब है, पर तनिक ज्यादा लगे है !!
5 comments:
सोचा की बेहतरीन पंक्तियाँ चुन के तारीफ करून ... मगर पूरी नज़्म ही शानदार है ...आपने लफ्ज़ दिए है अपने एहसास को ... दिल छु लेने वाली रचना ...
उफ़ ! आप तो बस फैन निकले, काश 'एसी' होते
चलो कोई बात नहीं, अभी उतनी गर्मी नहीं है !!
Ha,ha!Mazedar rachana!
मेरे शहर के लोग, मुझे जानते नहीं
सारे जहां में चर्चा, सरेआम है मेरी !
Nice one... keep it up !
प्रेम, शब्द, छोटा, कठिन, उच्चारण
दिल की बातें हैं, दिल ही जाने है !!
यह दिल है भाई ..इस पर किसी का जोर नहीं हर शेर में भाव विविधता ...अर्थपूर्ण
badhiya kavita !
Post a Comment