Wednesday, February 16, 2011

गठबंधन का मतलब ...... मजबूरियों का ताना-बाना !!

मजबूरी, नसीब, गुलाब, खुशबू, तुम, हम
सच ! चलो छोडो, आओ बैठ के बातें कर लें !
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अब क्या कहें, कैसे कहें, मजबूर हुए थे
बस्ती में कोई दूजा सुर्ख गुलाब नहीं था !
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मजलूम की आहों से संभल जाएं भ्रष्टाचारी
कहीं ऐसा हो, सात पुस्तें निपट जाएं !!
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सिर्फ एक ख्वाहिश ने, खुशियाँ बिखेर दी जहां में
सच ! हंसते रहे, और जो मिला उसे भी हंसाते रहे !
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कोई खामोश बन, चुपचाप मुझे निहारता
कुछ कहता नहीं, है कैसा सन्नाटा छाया !
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सुन रहे हैं बहुत दिलफेंक लोग वेलेंटाइन डे मना रहे हैं
दो-चार हमसे भी टकरा जाते, सच ! काश ऐसा होता !
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जब जब तुम करती हो, बातें मीठी मीठी
सच ! उस दिन ख़्वाब सुहाने मिलते हैं !
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कब्र में पैर लटके होने और वेलेंटाइन डे का नाता
उफ़ ! अब क्या कहें, माशुकी इम्तिहान लेती है !
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हम और हमारे लोग निकम्मे नहीं है 'उदय'
सच ! विदेशी बैंकों में हमारे खाते हैं !
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सच ! सवालों को सुन, गला नहीं सूखा था 'उदय'
वो तो सुकूं का मंजर देख, हमने पानी पिया था !
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गाँव के कुछ गिने-चुने, बड़े लोगों की चर्चा सुनी
लगा जैसे आपस में बैठ टाईमपास कर रहे हों !
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चमचागिरी सचमुच क्या हुनर है 'उदय'
उफ़ ! उनके लिए कोई छोटा-बड़ा नहीं है !
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सच ! अति की हदें नजर नहीं रही हैं 'उदय'
भ्रष्टाचारी सैलाब से, वतन भ्रष्टमग्न हुआ है !
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गठबंधन का मतलब, भ्रष्टाचार चलता रहे
गर कोई पूछे तो मजबूरियों का ताना-बाना !!

2 comments:

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर गजल जी, ओर यह शेर मन मोहन जी के नाम ...
गठबंधन का मतलब, भ्रष्टाचार चलता रहे
गर कोई पूछे तो मजबूरियों का ताना-बाना !!
धन्यवाद

प्रवीण पाण्डेय said...

हम क्या जानें राजनीति की घातें और प्रतिघातें।