Wednesday, February 2, 2011

सच ! सब भूल-भुलैय्या हैं, खुद को संभालो यारो !!

हे राम ! समय बदला, लोग बदल गए
अब कोई चाहता नहीं, जीवन मेरा !
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सच ! जिन्दगी में उसूल, मुनासिब नहीं यारो
जंग और मोहब्बत, एक अलग नजरिया है !
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कितने खुश होते हैं, इल्जाम लगाने वाले
उफ़ ! बदनाम हुए, गुमनाम होने पाए !
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स्वीस बैंक, कालाधन, किसका है यह मुद्दा नहीं है 'उदय'
मुद्दा, जांच का मसला तो यह है कि यह वहां पहुंचा कैसे !
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तुम्हारे जज्बे कितने खामोश हुए हैं
उफ़ ! खुद में डूबी हो, बाहर जाओ !
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सच ! खुशनसीबी है पत्रकार हुए हो यारो
वतन को आस है, कुछ तो कर जाओ !
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घरौंदे से निकले, देश को घर मान लिया
घर तो संवारा हमने, घरौंदे लौट पाए !
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दरख्तों तले जन्नती डेरा है 'उदय'
चलो कुछ देर पनाह ले लें हम !
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सहेज के रक्खी हैं हमने दुआएं तेरी
अब तो बच्चे ही 'खुदा' लगते हैं !
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रूठ जाएगा, टूट जाएगा, झूठ का भ्रम
सत्य तो सत्य है, मानो या ना मानो !
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ब्लॉग, ट्यूटर, आर्कुट, क्लाज, चैटिंग, फेसबुक
सच ! सब भूल-भुलैय्या हैं, खुद को संभालो यारो !

4 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

केवल ब्लॉगर पर ही टिके हैं।

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

'सहेज के रक्खी हैं हमने दुवाएं 'उदय'

अब तो बच्चे भी खुदा लगते हैं '

bahut सुन्दर,,

Pratik Maheshwari said...

पूरी दुनिया ही भूल-भुलैय्या है.. सब गुम हैं इसमें.. हम भी आप भी.. बस मौत ही बाहर निकालेगी..

Kailash Sharma said...

सच ! जिन्दगी में उसूल, मुनासिब नहीं यारो
जंग और मोहब्बत, एक अलग नजरिया है !

सभी शेर बहुत सुन्दर..