Monday, January 24, 2011

सारे भ्रष्टाचारी लामबंद ... सच ! देखते हैं, अब कौन क्या ... !!

आज यहाँ, कल वहाँ, क्या जिन्दगी है
खानाबदोशी का अपना, एक अलग मजा है !
...
सच ! कल किसी ने कब्र पे मेरी आंसू बहाए हैं
जाने कौन, खामोश बनकर मुझे चाहता रहा !
...
अब किसे बांटने की कोशिश करें, उदासी अपनी
उफ़ ! अपनी उदासी ही तो है, जो उन्हें खुश रखे है !
...
हाल--वतन, सारे भ्रष्टाचारी लामबंद हुए हैं
सच ! देखते हैं, अब कौन क्या कर लेता है !
...
ये इंतज़ार के पल भी गुजर जायेंगे
कितना मुश्किल था, प्यार को पाना !
...
काश 'खुदा' ने तुझसी मूरत, एक और बनाई होती
सच ! तुम रूठ भी जाते, हमें बेचैन तो होना पड़ता !
...
सच ! फिक्र करते तो, बेचैन बैठे रहते
बेफिक्र क्या हुए, धुएं की तरह उड़ते रहे !
...
फलक से रोज कोई आवाज दे रहा था मुझे
सच ! पर जमीं मुझे बहुत सुकूं दे रही थी !
...
भीड़ में बेचैनी थी, शोर बहुत था, चला आया
सच ! यहाँ चैन बिखरा पडा है, मन प्रसन्न है !
...
उल्लू है, कह दो, क्या फर्क पड़ता है
सच ! वह खुश है, लक्ष्मी की सवारी है !
...
बचपन में बाप चिल्लाया, मेंढक से कुछ सीख ले
कभी इसके, कभी उसके पैर पे, गिर पड़ता है, सफल है !
...
चलने दो, बढ़ने दो, निकलने दो, नदी है
उसको रोकेंगे, तो हम भी ठहर जायेंगे !
...
सच ! हुस्न छिपता नहीं, छलकता है
उफ़ ! ये प्रेम है, आँखों से झलकता है !
...
मौत खुद--खुद एक अजब पहेली है 'उदय'
सच ! कोई समझा, तो कोई समझ नहीं पाया !
...
वो मर गए, खुद को संभाल पाए
उफ़ ! अब क्या कहें, अफसोस है !
...
जब बदन में तुझे गर्मी नहीं दिखी, क्यों खामोश रही
खुदी के जिस्म की गर्मी से, उसे जला दिया होता !
...
उफ़ ! देश के हालत बद से बदतर हुए हैं
सच ! नेता-अफसर स्वीसजरलैंड में हैं !
...
कब तक टाप ब्लागिंग के लफड़े में उलझे रहोगे 'उदय'
क्यों एक अच्छा लेखक और श्रेष्ठ पाठक बना जाए !

18 comments:

Arvind Jangid said...

कब तक टाप ब्लागिंग के लफड़े में उलझे रहोगे 'उदय'
क्यों न एक अच्छा लेखक और श्रेष्ठ पाठक बना जाए !

वाह जी वाह...सही लिखा है आपने, ब्लागिंग जगत में भी मानों आजकल राजनीति जैसी होने लगी है. कहीं कोई नई पार्टी न बना ले.

सुन्दर शेर!

प्रवीण पाण्डेय said...

गहरे व्यंग।

संजय भास्‍कर said...

..सही लिखा है आपने..........'उदय'जी.

संजय भास्‍कर said...

बहुत लाजवाब और उम्दा लिखा है......गहरी बात आसानी से कह दी आपने

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बढ़िया हमेशा की तरह..

Kunwar Kusumesh said...

लाजवाब/उम्दा व्यंग हैं..

सूर्यकान्त गुप्ता said...

ये रहे मन के उद्गार। दुकानों मे लिखा ये नारा फिट बैठता है "आज नकद कल उधार"। बहुत सुंदर।

महेन्‍द्र वर्मा said...

अब किसे बांटने की कोशिश करें, उदासी अपनी
उफ़ ! अपनी उदासी ही तो है, जो उन्हें खुश रखे है !

वाह, क्या बात कही है, उदय जी....
बढ़िया शायरी की है आपने।

Deepak Saini said...

कब तक टाप ब्लागिंग के लफड़े में उलझे रहोगे 'उदय'
क्यों न एक अच्छा लेखक और श्रेष्ठ पाठक बना जाए !

वाह, क्या बात कही है

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत बढ़िया अशआर ...हर एक नयी बात कहता हुआ ..

شہروز said...

achchi rachna hai bhai !1

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

उदय भाई का जवाब नहीं।

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क्‍या आपको मालूम है कि हिन्‍दी के सर्वाधिक चर्चित ब्‍लॉग कौन से हैं?

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

'हाल-ए-वतन सारे भ्रष्टाचारी लामबंद हुए हैं
सच ! देखते हैं अब कौन क्या कर लेता है '
बिलकुल यही हाल है देश का ! ......बेबाक प्रस्तुति |

Patali-The-Village said...

बहुत लाजवाब और गहरे व्यंग।

kshama said...

Wah! Wah!
Gantantr diwas kee aneko shubhkamnayen!

Pratik Maheshwari said...

सच! क्या लिखा है आपने..
सच कडुवा है.. पर ऐसी लेखनी ने तो स्वाद ही बदल दिया..

राज भाटिय़ा said...

बिलकुल सही लिखा जी

Bharat Bhushan said...

बढ़िया लिखा है. आज यह अच्छा लगा-
'उल्लू है, कह दो, क्या फर्क पड़ता है
सच! वह खुश है, लक्ष्मी की सवारी है!'