"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Thursday, December 9, 2010
आस्ट्रेलियन टमाटर !
... सन - २०१५ ... प्रदेश के एक आला अधिकारी रास्ते में सब्जी बाजार के पास से गुजरते हुए श्रीमती जी की फरमाइश पर टमाटर खरीदने के लिए एक दुकान पर ... बाई एक किलो टमाटर दे देना ... जी साहब ... ये लीजिये टमाटर ... कितने रुपये हुए ... साहब ४५०/ रुपये ... क्या कहा ! ... साढ़े चार सौ रुपये ... टमाटर इतने मंहगे, आज से चार-पांच साल पहले भी मैं खरीदने आया था तब तो टमाटर तीस-चालीस रुपये में खरीद कर ले गया था ... साहब आप किस दुनिया में हो, ये टमाटर आस्ट्रेलिया से इम्पोर्ट हो कर आये हैं ... अरे उस समय तो एप्पल इम्पोर्ट हो कर आते थे, ये टमाटर कब से आने लगे ! ... साहब लगता है आप चार-पांच साल बाद कहीं बाहर से आये हैं तब ही आपको कुछ नहीं पता ... क्यों, क्या हो गया ? ... साहब अपने देश की सारी किसानी जमीन बड़े बड़े नेता, अधिकारियों व व्यापारियों ने खरीद ली है और वहीं जाकर वे पार्टी-सार्टी मनाते हैं तथा किसान शहर में मजदूरी करने लगे हैं ... अच्छा ये बात है ... हाँ साहब, गौर से देखिये कितना अच्छा आस्ट्रेलियन टमाटर है साइज,कलर, पैकिंग ... फ्लाईट से आया है साहब ... वो तो है ... इसी दौरान एक सज्जन दुकान पर पहुंचे और ४०/ रुपये देकर एक टमाटर खरीद कर ले गए ... अरे चालीस रुपये का एक टमाटर ... हाँ साहब ये आस्ट्रेलियन टमाटर है ... !!
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19 comments:
क्या यह दिन भी देखना पड़ेगा।
बड़ा ही सुन्दर लिखा है, शायद ये दिन देखने ही अब बाकी रह गए हैं.
हो सकता है वहाँ "बायीं" के स्थान पर कोई हिल्टन या किल्टन सब्जी बेच रही हो.
आपका साधुवाद.
अब यही देखना बचा है ....जब छोटे थे तो सुनते थे कि अमरीका में एक आम ५ रुपये का मिलता है ...बहुत ताज्जुब होता था ....आज यहाँ एक आम १० रूपये का मिलता है ....
तौबा,इतने मंहगे टमाटर
bas aisa condition aane hi vaalaa hai...
ऑस्ट्रेलियन टमाटर ही बचा था :(
samay ka sanket to yahi hai..
achchhi post hai.
बहुत ताज्जुब होता है ....
कुछ सालों बाद तो सचमुच में ऐसा ही होने लगेगा।
कुछ सालों बाद तो सचमुच में ऐसा ही होने लगेगा।
तब तो ऐसे टमाटर की फोटो को देखकर ही काम चलाना पडेगा।
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त्रिया चरित्र : मीनू खरे
संगीत ने तोड़ दी भाषा की ज़ंजीरें।
बहुत महंगा हे जी, हम तो नेट से डाऊन लोड कर लेगे, धन्यवाद
जनता लुटने के लिये ही है....
अन्दाज बहुत सुन्दर है
हमें भी टमाटर बहुत पसन्द है
यही बाकी रह गया है………करारा व्यंग्य्।
अब एक तो ले आते ! शुभकामनायें आपको
बहुत ही अच्छा.....मेरा ब्लागः-"काव्य-कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ ....आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे...धन्यवाद
बहुत ही अच्छा.....मेरा ब्लागः-"काव्य-कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ ....आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे...धन्यवाद
bahut achchha vyang......
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