महाराज चलो रावण मारने चलें !
क्या मतलब है दिखावा करने से ?
नहीं महाराज दिखावा काहे का !
अरे ये दिखावा नहीं है तो और क्या है ?
चलो ठीक है, अब रावण मारना भी आपकी नजर में दिखावा हो गया है !
दिखावा नहीं तो और क्या है, जो रावण तुम्हारे अन्दर बसा हुआ है उसे क्यों नहीं मारते हो ?
आप भी मजाक कर रहे हो, अब जिसे खुद पाल कर, अन्दर बसा कर, सिद्ध कर रखे हुए हैं ... उसे भला मारना कैसा ?
तो फिर रावनरूपी पुतला बना बना कर जलाने का दिखावा किसलिए ?
महाराज अब आप तो खुद समझदार हो, आजकल दिखावा बहुत जरुरी हो गया है ! ... यदि हम लोग दिखावा नहीं करेंगे तो किसी दिन कोई रामनुमा इंसान हमें ही जलाने का विचार नहीं कर लेगा ?
ये तो सच कहा ... मतलब खुद को बनाए रखने के लिए कुछ-न-कुछ ढोंग-धतूरा तो करना ही पड़ता है ... बढ़िया ... बहुत बढ़िया !
तो चलें महाराज ... रावण मारने !
नहीं भईय्या ... आप ही जाओ ... मुझे तो डर ही लगता है कि कहीं देखा-देखी के चक्कर में ... वहां रावण जल तो जाए पर उसकी आत्मा मेरे संग - संग न आ जाए !
ठीक है हम ही चले जाते हैं ... जैसी आपकी मर्जी !
पर जाते जाते ये तो बता जाओ कि तुमने खुद के अन्दर रावण को कैसे पाल कर रखा हुआ है ?
बहुत लम्बी कहानी है भईय्या ... आजकल गाय, बकरी, कुत्ता, बिल्ली, तोता बगैरह को पाल कर रखने में ही पसीना छूट जाता है फिर ये तो रावण है !
बताओ भईय्या बताओ ... आखिर रावण की कहानी जो है ... रावण !
एक दिन हम बहुत दुखी बैठे थे तब अचानक रावण की आत्मा हमारे सामने प्रगट हो गई ... कहने लगी तुम्हारे सारे दुख-दर्द ख़त्म कर दूंगा बस तुम्हें अपने अन्दर रहने के लिए मुझे जगह देना पडेगा ... मैंने पूछा क्या मतलब है तुम्हारा ? ... अरे डरो मत मैं सिर्फ मांस-मदिरा ग्रहण करूंगा और तुम्हारे सब काम करता रहूँगा ! ... बस, फिर क्या था मैंने उसे उसी दिन उसे मांस-मदिरा का भोग लगवा दिया ... वह दिन है की आज का दिन है रावण मेरे अन्दर मेरे साथ ही रहता है !
भईय्या रावण को पालने से आपको फ़ायदा क्या है ? तुम्हारी हालत तो ज्यों की त्यों है ?
मेरी हालत पर मत जाओ भईय्या, मैं जो सुख भोग रहा हूँ उसका अलग ही मजा है ... कुछ भी काम बेधड़क कर लेता हूँ और कोई रोकने वाला भी नहीं रहता है ! ... बस अच्छे काम ही नहीं कर पाता हूँ क्योंकि रावण करने नहीं देता है ... अब भला आज के कलयुग में अच्छे काम करने से फ़ायदा भी क्या है ?
अच्छा ये बात है, मतलब मौजे-ही-मौजे हैं ! भईय्या जब रावण तुम्हारे ही अन्दर है फिर रावण मारने, मेरा मतलब देखने क्यों जा रहे हो ?
भईय्या ये अन्दर की बात है अब पूछ रहे हो तो सुन लो ... आजकल रावण मारने ( जलाने ) की होड़ रहती है, शहर का जो सबसे बड़ा रावण होता है अर्थात जो सर्वाधिक पावरफुल रावण प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है वह ही रावण को जलाता है ... उसके चहरे पर रावण फूंकते समय जो मुस्कान होती है, यूं समझ लो बस वही देखने जाता हूँ ... चलो आपको दिखाता हूँ !
नहीं भईय्या ... आपको ही रावण और उसकी मुस्कान मुबारक हो ... आप ही देखो कैसे एक रावण को दूसरा रावण मारता है ... जय श्रीराम ... जय जय श्रीराम !!!
18 comments:
जो सर्वाधिकपावरफुल रावण प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है वह ही रावण को जलाता है ... उसके चहरेपर रावण फूंकते समय जो मुस्कान होती है यूं समझ लो बस वही देखने जाता हूँ ...
हम तो भाई आतिशबाजी का भी मज़ा साथ ही ले लेते हैं.............
बढ़िया प्रस्तुति...............
चन्द्र मोहन गुप्त
जय जय श्रीराम !!!---बढ़िया प्रस्तुति !
सटीक व्यंग्य्।
बेहतरीन प्रस्तुति. आभार.
जय जय श्री राम
जय जय रावण
........बढ़िया प्रस्तुति !
एक कड़़वे सच को आपने हास्य की चासनी में लपेट कर प्रस्तुत कर दिया है। बहुत दिनों के बाद एक स्तरीय व्यंग्य पढने को मिला। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़!
जब तक अन्तः जलता नहीं है, मन के रावण का भी अन्त नहीं होगा।
सार्थक व्यंग्य।
बहुत सटीक विचार अभिव्यक्ति ..... आभार
बेहतरीन प्रस्तुति, सटीक व्यंग्य्।
बहुत बढ़िया व्यंग ।
वाह उदय भाई, बधाई इस बढ़िया पोस्ट के लिए.
बहुत सुन्दर और मजेदार प्रस्तुति ! सामाजिक स्थिति को दर्शाती ...
अति सुन्दर प्रस्तुति . धन्यवाद
दिखावा नहीं तो और क्या है, जो रावण तुम्हारे अन्दर दिल खुश हो गया पढके. सत्य कहा है. बसा हुआ है उसे क्यों नहीं मारते हो ?
very well written.
there are few communities who worship Ravan also.
sahee saty kee abhivykti...
बहुत बढिया लिखा है !!
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