सच तो ये है, ये गांधी का वतन है
सुनता नहीं कोई, पढ़ता नहीं कोई
गांधी की राहों पे चलता नहीं कोई
सत्य-अहिंसा का पाठ पढाता तो हूँ मैं
पर, सत्य-अहिंसा का पुजारी नहीं हूँ
बन्दर तो हूँ मैं, पर गांधी नहीं हूँ !
गांधी के तीनों बन्दर, बसते हैं जेहन में
उन्हीं को देख-देख बढ़ता रहा हूँ
भाईचारे व सदभाव का जब उठता है मुद्दा
मुंह पे हाथ रख बैठा रहा हूँ
बन्दर तो हूँ मैं, पर गांधी नहीं हूँ !
हिन्दू-मुस्लिम समभाव, सदभाव
एकता की जहां होती है चर्चा
वहां कान पे हाथ होते हैं मेरे
वहां बैठ कुछ मैं सुनता नहीं हूँ
बन्दर तो हूँ मैं, पर गांधी नहीं हूँ !
जहां कत्ले-आम होते हैं हर पल
जलती हैं बस्ती, टूटते हैं घरौंदे
सच तो ये है, मैं होता वहीं हूँ
मगर आँखें मेरी कुछ देखती नहीं हैं
आँखों पे रख हाथ बैठा रहा हूँ
बन्दर तो हूँ मैं, पर गांधी नहीं हूँ !
आज देश के रक्षक, खुद भक्षक हुए हैं
भ्रष्टाचार, घुटाले, सरेआम हुए हैं
लुटता रहा हूँ, लूटता भी रहा हूँ
कहता, सुनता, देखता, कुछ नहीं हूँ
बन्दर तो हूँ मैं, पर गांधी नहीं हूँ !!
18 comments:
सत्य के दर्शन कराती रचना ।
बापू और लाल बहादुर को शत शत नमन ।
badee sunder rachana......
aam aadmee kee soch ko bhee ingit karatee.....
Mahan aatmao ko naman....
bahut sateek rachana...abhaar
चल पड़े जिधर दो पग डगमग, चल पड़े कोटि पग उसी ओर,
पड़ गयी जिधर भी एक दृष्टि, गड़ गये कोटि दृग उसी ओर।
नमन बापू!
सत्य को कहती रचना ..सच बन्दर ही बन कर रह गए हैं ...
आज का मार्मिक सत्य।
बहुत सुंदर ओर सत्य
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
तुम मांसहीन, तुम रक्त हीन, हे अस्थिशेष! तुम अस्थिहीऩ,
तुम शुद्ध बुद्ध आत्मा केवल, हे चिर पुरान हे चिर नवीन!
तुम पूर्ण इकाई जीवन की, जिसमें असार भव-शून्य लीन,
आधार अमर, होगी जिस पर, भावी संस्कृति समासीन।
कोटि-कोटि नमन बापू, ‘मनोज’ पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
बहुत सुन्दर रचना .बधाई
bahut barhiya uday bhai. aabhar.
बंदरों का यह प्रतिबिंब आज की मुंह चिढ़ाती तस्वीर है, बधाई.
बंदरों का यह प्रतिबिंब आज की मुंह चिढ़ाती तस्वीर है, बधाई.
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 5-10 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
एकदम सच्ची बात कही है आपने इस अभिव्यक्ति में, बधाई सुन्दर लेखन के लिये ।
सत्य को उजागर करती रचना।
प्रभावशाली सटीक रचना.
गजब दर्शन!
सत्य दर्शन .... अच्छा व्यंग है उदय जी ....
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