हाँ ये सच है
मैं लिखता हूँ
अच्छा या बुरा
नहीं जानता
कोशिश करूं
संभव नहीं
जान पाना
अच्छाई - बुराई
खुद की
कुछ दिनों से
महसूस हुआ
कुछ अजब सा
कोशिश की
जानने-समझने की
क्या समझा !
शायद बर्चस्व की
लड़ाई चल रही थी
कुछ लोग आपस में
लड़ रहे थे
नंबरों की दौड़ में
कोई आगे तो कोई पीछे
चल रहे थे
पर मैं उनके साथ
नहीं था लड़ाई में
मुझे कुछ लेना-देना
भी नहीं था
लड़ाई के साथ
पर क्या करता
सिस्टम का अंग तो था
शायद इसलिए ही
उन्होंने मुझे भी
लड़ाई का हिस्सा समझ
झटकना शुरू कर दिया
मुझे लगा
लोग बेवजह ही
मुझे भी अपने साथ
समझ रहे हैं
और लड़ने-भिड़ने का
भरपूर प्रयास कर रहे हैं
क्या करता
कोई रास्ता नहीं था
मैंने चाल बदली
रफ़्तार बदली
उस दौड़ से
बर्चस्व की लड़ाई से
दरकिनार किया खुद को
अब सुकूं से
चल रहा हूँ
बढ़ रहा हूँ
चाल अपनी है
रफ़्तार अपनी है
कछुवे-सी ही सही
क्या फर्क !
अब न कोई साथ
न कोई पीछे
सब के सब आगे
बहुत आगे ही दौड़ रहे हैं
और मैं
अपनी मस्ती में
मदमस्त सा
बढ़ रहा हूँ
ये ब्लागदुनिया है
इसका दस्तूर निराला है !!!
19 comments:
सभी आगे है..बस, सार्थक लेखन करते चलें..!! शुभकामनाएँ.
इतनी मुश्किल की सबसे उपर ,
गंजाइश बची तो बस नीचे,
मुसीबत ये की सबसे आगे,
रास्ता बचा तो बस पीछे !
इससे बेहतर तो मियां 'मजाल',
अपने मुताबिक़ चादर खीचें ,
थकाए क्यों खुद को दौड़ में,
बस मस्ती छाने, और मौज कीजे !
अपनी मस्ती में रहना ही सही है ।
अब सुकूं से
चल रहा हूँ
बढ़ रहा हूँ
चाल अपनी है
रफ़्तार अपनी है
कछुवे-सी ही सही
क्या फर्क !
अब न कोई साथ
न कोई पीछे
सब के सब आगे
बहुत आगे ही दौड़ रहे हैं
अच्छी पंक्तिया ........
इसे भी पढ़कर कुछ कहे :-
(आपने भी कभी तो जीवन में बनाये होंगे नियम ??)
http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_19.html
Sahi kiya aapne...!
नयी दुनिया, नया दस्तूर।
ab kya hua uday ji...
naraaj kyo ho......
मेरा सबक तो ये है की किसी की चिंता करे बिना लिखते रहो....अच्छा होगा तो लोग पसंद करेंगे वरना नही....नंबर दौड़ में कुछ नही रखा ,और न ही कोई आगे है....
अपनी मस्ती में
मदमस्त सा
बढ़ रहा हूँ
ये ब्लागदुनिया है
इसका दस्तूर निराला है !!!
सही दिशा है ...अच्छी अभिव्यक्ति
बढ़िया फ़ार्मूला है जी, हम भी तो तभी आते हैं टिप्पणी करने अब।
अपनी मस्ती में रहिये, अन्याय भी मत सहिये।
शुभकामनायें।
यह दीप अकेला स्नेह भरा...
-अज्ञेय
सब कुछ ठीक होते ही ...एक रचना उस पर भी पढवाईयेगा ..हमें पूरा यकीन है कि एक दिन मीठा सच भी सामने आएगा ....
हर दुनिया का अपना दस्तूर होता है बस वो ही सही है जो समय के साथ चलता है।
आपकी रचना कल के चर्चा मंच पर ली गयी है।
अपने विचारों से चर्चा मंच पर आकर अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
:-)
सत्य वचन..... जय हो!
अपने में ही मस्त रहना ही सही है
मजाल से सहमत !
सार्थक सोच
अब न कोई साथ
न कोई पीछे
सब के सब आगे
बहुत आगे ही दौड़ रहे हैं
और मैं
अपनी मस्ती में
मदमस्त सा
बढ़ रहा हूँ
ये ब्लागदुनिया है
इसका दस्तूर निराला है !!!
यही ठीक भी है ..!
अच्छी अभिव्यक्ति।
आपकी पोस्ट आज के चर्चामंच का आकर्षण बनी है । चर्चामंच पर आकर अपने विचारों से अवगत करायें।
http://charchamanch.blogspot.com
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