Sunday, September 5, 2010

सफ़र

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कोई गल नहीं था, तेरे इम्तिहां का
सफ़र लंबा था, पैरों में कंकडों को तो आना था

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2 comments:

kshama said...

Kankadon ne to anahi hota hai!Bina unke zindagi ka safar kahan?

प्रवीण पाण्डेय said...

सुन्दर