Thursday, August 19, 2010

आजाद करें ...

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
भ्रष्टतंत्र के कीड़ों से, लोकतंत्र को आजाद करें !

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
भय-दहशत के शूरमाओं से, जनतंत्र को आजाद करें !

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
झूठे,फरेबी, मक्कार इंसानों से, देश को आजाद करें !

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
अमीरों के चंगुल में फंसे गरीबों को आजाद करें !

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
मौकापरस्त जननेताओं से जनता को आजाद करें !

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
आधुनिक संस्कृति में फंसे, सु-संस्कारों को आजाद करें !

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
भेडियानुमा आँखों से, लोक-लाज को आजाद करें !

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
धार्मिक सरहदों में फंसे भाईचारे को आजाद करें !

चलो
आजाद करें, बढ़ो आजाद करें !
बोली-भाषा, रंग-रूप, आचार-विचार, से खुद को आजाद करें !!

12 comments:

Randhir Singh Suman said...

मौकापरस्त जननेताओं से जनता को आजाद करें
nice

Satish Saxena said...

बहुत सुंदर और सरल ....

Udan Tashtari said...

बेहतरीन और सटीक!

आशा जोगळेकर said...

सरल सहज भाषा में सबको आव्हान ।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

सरल और गेय कविता है
बहुत बढिया
आभार

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

मिलते हैं ब्रेक के बाद

Majaal said...

दुनिया बदलने का मियां 'मजाल', तरीका आसां इजाद करे,
दुनिया करे फिकर अपनी, और हम खुद को आज़ाद करे.

1st choice said...

all iss welll

अरुणेश मिश्र said...

प्रशंसनीय ।

Urmi said...

चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
अमीरों के चंगुल में फंसे गरीबों को आजाद करें
चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
मौकापरस्त जननेताओं से जनता को आजाद करें..
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! इस शानदार रचना के लिए बधाई!

डॉ टी एस दराल said...

सही है , आज़ादी के कई मायने अभी बाकि हैं ।

दिगम्बर नासवा said...

सार्थक संदेश ... इन सब से आज़ाद हो सकें तो सुकून हो जाए ...