Sunday, July 18, 2010

शेर



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काश तनिक हम भी, बेईमान हो गये होते
खुद के नहीं तो, किसी के काम आ गये होते।

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11 comments:

Udan Tashtari said...

काश!! :)

sandhyagupta said...

sher ke sath sher!

honesty project democracy said...

काश तनिक हम भी, बेईमान हो गये होते
खुद के नहीं तो, किसी के काम आ गये होते।

उदय जी वैसे आपने आज के हालात के हिसाब से एक कडुआ सच लिखा है ,ज्यादातर लोग ऐसा ही सोचते हैं आज |
लेकिन हमारा अनुभव बताता है की अभी भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो इस शेर को इस प्रकार से लिखना पसंद करेंगे ..

काश तनिक हम भी इमानदार व निडर हो गये होते ..
थोडा सा दूसरों के लिए जीने की कसम खा लिए होते ..
खुद के लिए ना सही ,जनहित व परोपकार में अपने जान को हथेली पर एक बार रख लिए होते ..
इस देश और समाज को स्वर्ग बनाने की कसम एकबार खा लिए होते ...

kshama said...

Aah!

संजय भास्‍कर said...

sher par swa sher!

संजय भास्‍कर said...

,,,,,,,,,बेहद उम्दा

arvind said...

काश तनिक हम भी, बेईमान हो गये होते
खुद के नहीं तो, किसी के काम आ गये होते।
....उम्दा
.udayji sher kabhi beimaan nahi hotaa.

राजकुमार सोनी said...

कड़ुवा सच.. एकदम हकीकत

दिगम्बर नासवा said...

अगर बेईमान हुवे होते तो खुद से ज़्यादा किस के काम आते ...
अच्छा शेर है ...

हमारीवाणी said...

हिंदी ब्लॉग लेखकों के लिए खुशखबरी -


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Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

वाह ! क्या बात है ... क्या शेर है !