Saturday, July 3, 2010

मौन !

क्या मैं मौन नहीं रह सकता
रह सकता हूं पर क्यों विचलित हूं
हां ये सच है मौन भी एक अदभुत शक्ति है
पर इस शक्ति को मैं जानूंगा कैसे
निश्चय ही मौन रहकर
फ़िर क्यों व्याकुल हूं

क्या कुछ पल भावों को, संवेदनाओं को
एहसासों को, अभिव्यक्तियों को
मौन रहकर महसूस नहीं कर सकता
संभव है पर एक बेचेनी है
मन में उपजे भावों को अभिव्यक्त करने की
पर मैं उन उपज रहे भावों को भी
स्वयं महसूस कर रहा हूं
क्या मैं एक शक्ति को महसूस करने
जानने का प्रयास कर रहा हूं

शायद हां मैं आपके अभिव्यक्त भावों को
पढकर, मन में रखकर
मनन कर रहा हूं और अपनी अभिव्यक्ति से
जो मेरे भीतर है
समझने समझाने का प्रयास कर रहा हूं
ये सच है मैं आपकी चार पंक्तियों को पढकर
मनन कर रहा हूं
और यह भी चिंतन में है मेरे
कि आप को मेरी अभिव्यक्ति का इंतजार है
आप व्याकुल हो मेरी अभिव्यक्ति के लिये

मैंने प्रतिक्रिया क्यों जाहिर नहीं की
मैं क्यों खामोश हो गया हूं
पर मेरे अंदर की खामोशी
एक सन्नाटे की तरह है
जो मुझे झकझोर रही है
उद्धेलित कर रही है, उमड रही है
पर मेरे अंदर ही अंदर
जिसे आप देख सकते
और ही महसूस कर सकते हो
क्यों क्योंकि वह मेरे अंदर है
मेरे मन में है, मौन है !

14 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा..भावपूर्ण!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बढ़िया आत्मसंवाद....

36solutions said...

बहुत सुन्‍दर कविता उदय भईया, डायरी के पन्‍नो को पुन: खोलने के लिए गाडा गाडा बधई, जय जोहार.

vandana gupta said...

्बेह्तरीन भावाव्यक्ति।

समयचक्र said...

बहुत सुन्‍दर कविता,,,

1st choice said...

अंकल आप किस दुनिया मे जा रहे हो?

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अंकल आप किस दुनिया मे जा रहे हो?

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अंकल आप किस दुनिया मे जा रहे हो?

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अंकल आप किस दुनिया मे जा रहे हो?

दिगम्बर नासवा said...

मौन बहुत कुछ कहता है ... मौन की भाषा दूर तक वार करती है ....

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

S.M.Masoom said...

हां ये सच है मौन भी एक अदभुत शक्ति है

संजय भास्‍कर said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।