तन है रेशमी कोमल
दिलों में शंख बजते हैं
हंसे तो फ़ूल झडते हैं !
दिलों में शंख बजते हैं
हंसे तो फ़ूल झडते हैं !
नहीं बेचा कभी मन
न किया ईमान का सौदा
न किया ईमान का सौदा
है हालात से मजबूर
खडी बाजार में है वो !
उसने कभी हंसकर
सौदा, किया नहीं तन का
पर है गर्व उसको
कि - वो तन बेचती है !
करे तो क्या करे ?
रुह को कचोटती है, मन को नौंचती है
बदन को -
आग का शोला बनाकर बेचती है !!
14 comments:
दुनिया मै कोई भी मजबुरी ऎसी नही की जो नारी को उस का तन बेचने पर मजबूर करे....
bahut hi gahan abhivyakti.
ऐसी नारियों की कुछ तो मजबूरी होती होगी... बेहतरीन रचना... बेहद भावपूर्ण ....
गहरी अभिव्यक्ति, धन्यवाद.
usake badan ka hi toh soshan hota hai .. gaharee samvedana
dheere-dheere aur nikharataa jaraha hai chintan.. yah kavitaa bhi theek hai.
जय भीम क्या आपने अम्बेडकर साहित्य पढ़ा है
जीवन का कटु सत्य।
………….
दिव्य शक्ति द्वारा उड़ने की कला।
किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं?
Bhatiya ji se sahmat hun.
सुंदर
झंझोड़ती है आपकी यह रचना ... गहरा आक्रोश ...
झंझोड़ती है आपकी यह रचना ... गहरा आक्रोश ...
शोला बनाकर बेचती है !
गहरी अभिव्यक्ति........ धन्यवाद.
'Sheela' bankar bikti hai naari,
paisa ban baitha hai bada anari.
shabo roj hoti hai munni badnaam,
fir bhi dekh rahi dunia dekho sari.
(savji chaudhari- 99980 43238, A-men media & creation, A'bad.)
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