Tuesday, May 25, 2010

इम्तिहां

पता नहीं क्यूं जिंदगी
हर पल इम्तिहां लेती है
कभी अपने तो कभी गैर
झकझोर देते हैं जज्वातों को
मन की उमंगे-तरंगें
लहरों की तरह
कभी इधर तो कभी उधर
न जाने क्यूं कदम मेरे
साथ चलने में ठिठक जाते हैं !!!

7 comments:

honesty project democracy said...

निश्चिन्त रहिये और सच्चाई और ईमानदारी के राह पर डटे रहिये /

पंकज मिश्रा said...

इसी का नाम जिंदगी है जनाब। क्या कहने।

संजय कुमार चौरसिया said...

jeena isi ka naam hai

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

Udan Tashtari said...

बेहतरीन!!

आपकी क्षणिकाओं में दम है.

drsatyajitsahu.blogspot.in said...

wah.........

सूर्यकान्त गुप्ता said...

उदय भाई साहब! जीना इसी का नाम है। "क्षणिकाये"जिसमे जीवन की सच्चाई का लेखा जोखा। सुन्दर्।

दिगम्बर नासवा said...

बहुत बार ऐसा होता है ... पर जिंदगी ऐसे में इम्तिहान लेती है ...