Friday, May 14, 2010

क्या "समीर-अनूप-ज्ञान" रूपी "बवंडर" इंद्रधनुषी ब्लागजगत को कलंकित कर के ही दम लेगा !!!

"ब्लाग-दुनिया" में मची धमाचौकडी को देख कर ऎसा लग रहा है कि यह "समीर-अनूप-ज्ञान" रूपी विवाद इतने जल्दी शांत होने वाला नहीं है ... चारों ओर "ढोल-नगाडों" की आवाजें गूंज रहीं हैं ... हर कोई अपनी अपनी अलग "धुन" निकाल रहा है ... पहले तो मैं सोचता रहा कि इस विवाद से दूर ही रहा जाये ... पर क्या करूं ... अब मुझसे ब्लागजगत में मचे "बवंडर/तूफ़ान" पर खामोश रहने का मन नहीं कर रहा है ... उसका एक मात्र कारण है कि अगर इस "बवंडर" को शांत करने का प्रयास नहीं किया गया तो निश्चिततौर पर इसके परिणाम नकारात्मक / घातक ही निकलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता ।

... यह विवाद जिस "पोस्ट" के कारण उपजा है ... वह पोस्ट ... पोस्ट की सार्थकता ... खैर छोडो ..... कौन बडा ... कौन छोटा ... यह भी बे-फ़िजूल ही लगता है ... बे-फ़िजूल इसलिये किसी भी "फ़ील्ड" में हर किसी का अपना-अपना महत्व होता है ... जिस तरह "शतरंज" के खेल में कभी-कभी "पैदल" भी "बजीर" की "चाल" रोक देती है और कभी-कभी यह भी अवसर आ जाता है कि "पैदल" भी आगे चलकर "बजीर" बन जाती है ... सीधा सा तात्पर्य ये है कि सब समय-समय की बातें हैं ... कोई छोटा या बडा नहीं है ।

...इस "छोटे-बडे" के विवाद पर मुझे "शोले" फ़िल्म की याद आ रही है ... इस फ़िल्म में अगर कोई "तीरंदाज" ये बोले कि उसके बगैर फ़िल्म "हिट" हो ही नहीं सकती थी तो आप सभी "हंस" पडेंगे, उसका कारण भी है कि इस फ़िल्म का एक-एक "किरदार" अदभुत है अपने-आप में "सुपर-डुपर" है ... गब्बर सिंह ... कालिया ... सांभा ... ठाकुर ... रामसिंह ... अंग्रेजों के जमाने के जेलर ... धन्नो ... बसंती ... रामगढ ... महबूबा-महबूबा ... किस चक्की का पिसा आटा ... कितने आदमी थे ... क्या खबर लाये हो कालिया ... जेल में सुरंग ... ये दोस्ती हम नहीं छोडेंगे ... जय - वीरू ... वगैरह वगैरह ...

... बिलकुल ठीक इसी तरह "ब्लागजगत" है जो "शोले" फ़िल्म की तरह "सुपर-डुपर" हिट है ... इसमें भी कोई किसी से कम नहीं है सब अपने आप में "सुपर स्टार" हैं हर किसी का अपना-अपना "स्टाईल" है ... सभी बलागर कलम के "जादूगर" हैं ... "बाजीगर" हैं ...

... इसलिये दोस्तो सुनहरे इंद्रधनुषी ब्लागजगत में उठे "बवंडर/तूफ़ान" को शांत करने के लिये आगे आयें ... जिस किसी से भी ... जहां कहीं भी ... भूल-चूक हुई है ... खेद व्यक्त करें तथा खुद-ब-खुद "बडे" बन जायें ।

.... इस अवसर के लिये मेरी एक पुरानी कविता की दो लाईनें प्रस्तुत हैं : -

... बन जाओ कुछ पल को "छोटा"
फ़िर तो "बडे" तुम ही हो
यही जीत का राज है यारो
इस पर कदम बढा लो ..."

25 comments:

डॉ टी एस दराल said...

सार्थक लेख । आपका प्रयास सराहनीय है । सब को मिल कर हिंदी ब्लोगिंग को बचाना होगा ।

दिवाकर मणि said...

बिल्कुल उचित मुद्दे को आपने उठाया। साधुवाद...
-----------
मौत से जूझते एक ब्लॉगर को जरुरत है आपके शुभकामनाओं की ---> http://diwakarmani.blogspot.com/2010/05/blog-post_14.html

अजय कुमार झा said...

समय सबसे बलवान होता है , उदय जी , इससे बडा न तो कोई ब्लोग्गर है , न कोई ब्लोग और न ही कोई पोस्ट । समय अपना काम कर रहा है करने दीजीए । सब ठीक होगा ।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

श्या्म भाई,
लोग शांति नही चाहते, आपकी शांति की अपील पर भी दो नापसंद के चटके लग चुके हैं।

अच्छी पोस्ट है
अगर आपकी अपील मान ली जाए तो सार्थक है।
आभार

भूतनी said...

very good very good

प्रदीप वर्मा said...

हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा

"अनूप जी और ज्ञानदत्त जी दबे हुए संस्कार ऐसे ही बाहर निकल आते हैं" वाली पोस्ट के बाद ब्लॉगवाणी तिलमिलाई!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

जिसने धर्म के नाम पर आने वाली संवेदनशील ब्लोगों को नहीं निकाला उसने इस अनोखे ब्लोग को घबड़ाकर ब्लोगवाणि से निकाल दिया!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

आज की पोस्ट देखनी है तो आगे पढ़ें

Randhir Singh Suman said...

nice

Urmi said...

वाह बहुत बढ़िया ! लाजवाब!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

... बन जाओ कुछ पल को "छोटा"
फ़िर तो "बडे" तुम ही हो
यही जीत का राज है यारो
इस पर कदम बढा लो ..."

यह तो हमारे मन की बात कह दी है आपने!

Unknown said...

NICE

कडुवासच said...

Kumar Jaljala,जी का यक कमेंटस संभवत: पिछली पोस्ट पर चला गया ... जो हू-ब-हू यहां प्रेषित है :-

जनाब ये अनूप शुक्ला और हजरत ज्ञानदद ने सारा महौल खराब कर रखा है। इनका बायकाट करना ही पहली कोशिश होनी चाहिए.
वैसे कुछ देर पहले शुक्ला साहब से मैंने फोन पर बात की थी तब उन्होंने बताया कि उनका मकसद वैसा नहीं था जैसा हो गया है. शुक्ला साहब ने यह भी कहा कि ज्ञानदद ने उनसे लिखने के पहले पूछा जरूर था। उन्हें क्या मालूम था कि बात इतनी आगे बढ़ जाएगी. वे ब्लागिंग की दुनिया को अलविदा करने की बात भी कर रहे थे. महौल गंदा हो चुका है.

कडुवासच said...

...जिन महानुभावों ने इस पोस्ट पर "नापसंद" का चटका लगाया है उनका आभार !!!!!

राज भाटिय़ा said...

शांति शांति... बस एक दो दिन मै शांति हो जायेगी जी नाईस

Arvind Mishra said...

जी कुछ मन halkaa huaa .....

अनूप शुक्ल said...

ये कुमार जलजला कौन अनूप शुक्ल से बात कर आये भाई! हमसे तो किसी ने बात नहीं की।

कडुवासच said...

@अनूप शुक्ल
... भाई जी ... आप से आग्रह है कि इस विवाद को शांत करने की दिशा में सार्थक पहल करें ... वो समीर भाई भी आजकल दिख नहीं रहे हैं लगता है कहीं व्यस्थ हैं उनसे भी मेरा यही आग्रह रहेगा ... क्या है कि कुछ बाहर (ब्लागजगत से बाहर के लोग)के लोग हंसी उडाने लगे हैं ...!!!

honesty project democracy said...

सराहनीय प्रयास जिसकी तारीफ करनी ही चाहिए /

नरेश सोनी said...

अच्छा प्रयास है उदय जी। ऐसे प्रयासों का सर्वथा समर्थन किया जाना चाहिए।

नरेश सोनी said...

एक बार जरूर कहूंगा - मैं विवाद को बुरा नहीं मानता। पर जिस विवाद का कोई स्तर नहीं होता, उसका न समर्थन होना चाहिए, न विरोध। यही एक जरिया है, जिससे विवाद अपने आप खत्म हो जाते हैं।

नरेश सोनी said...

ब्लाग जगत के महानुभावों से भी यही निवेदन है कि वे विवादों पर टिप्पणी करने से बचें।

राजभाषा हिंदी said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

Kumar Jaljala said...

कौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन
पुरूषों की कैटेगिरी में श्रेष्ठ ब्लागर का चयन हो चुका है। हालांकि अनूप शुक्ला पैनल यह मानने को तैयार ही नहीं था कि उनका सुपड़ा साफ हो चुका है लेकिन फिर भी देशभर के ब्लागरों ने एकमत से जिसे श्रेष्ठ ब्लागर घोषित किया है वह है- समीरलाल समीर। चुनाव अधिकारी थे ज्ञानदत्त पांडे। श्री पांडे पर काफी गंभीर आरोप लगे फलस्वरूप वे समीरलाल समीर को प्रमाण पत्र दिए बगैर अज्ञातवाश में चले गए हैं। अब श्रेष्ठ ब्लागरिन का चुनाव होना है। आपको पांच विकल्प दिए जा रहे हैं। कृपया अपनी पसन्द के हिसाब से इनका चयन करें। महिला वोटरों को सबसे पहले वोट डालने का अवसर मिलेगा। पुरूष वोटर भी अपने कीमती मत का उपयोग कर सकेंगे.
1-फिरदौस
2- रचना
3 वंदना
4. संगीता पुरी
5.अल्पना वर्मा
6 शैल मंजूषा

Kumar Jaljala said...

कौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन
पुरूषों की कैटेगिरी में श्रेष्ठ ब्लागर का चयन हो चुका है। हालांकि अनूप शुक्ला पैनल यह मानने को तैयार ही नहीं था कि उनका सुपड़ा साफ हो चुका है लेकिन फिर भी देशभर के ब्लागरों ने एकमत से जिसे श्रेष्ठ ब्लागर घोषित किया है वह है- समीरलाल समीर। चुनाव अधिकारी थे ज्ञानदत्त पांडे। श्री पांडे पर काफी गंभीर आरोप लगे फलस्वरूप वे समीरलाल समीर को प्रमाण पत्र दिए बगैर अज्ञातवाश में चले गए हैं। अब श्रेष्ठ ब्लागरिन का चुनाव होना है। आपको पांच विकल्प दिए जा रहे हैं। कृपया अपनी पसन्द के हिसाब से इनका चयन करें। महिला वोटरों को सबसे पहले वोट डालने का अवसर मिलेगा। पुरूष वोटर भी अपने कीमती मत का उपयोग कर सकेंगे.
1-फिरदौस
2- रचना
3 वंदना
4. संगीता पुरी
5.अल्पना वर्मा
6 शैल मंजूषा

Kumar Jaljala said...

कौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन
पुरूषों की कैटेगिरी में श्रेष्ठ ब्लागर का चयन हो चुका है। हालांकि अनूप शुक्ला पैनल यह मानने को तैयार ही नहीं था कि उनका सुपड़ा साफ हो चुका है लेकिन फिर भी देशभर के ब्लागरों ने एकमत से जिसे श्रेष्ठ ब्लागर घोषित किया है वह है- समीरलाल समीर। चुनाव अधिकारी थे ज्ञानदत्त पांडे। श्री पांडे पर काफी गंभीर आरोप लगे फलस्वरूप वे समीरलाल समीर को प्रमाण पत्र दिए बगैर अज्ञातवाश में चले गए हैं। अब श्रेष्ठ ब्लागरिन का चुनाव होना है। आपको पांच विकल्प दिए जा रहे हैं। कृपया अपनी पसन्द के हिसाब से इनका चयन करें। महिला वोटरों को सबसे पहले वोट डालने का अवसर मिलेगा। पुरूष वोटर भी अपने कीमती मत का उपयोग कर सकेंगे.
1-फिरदौस
2- रचना
3 वंदना
4. संगीता पुरी
5.अल्पना वर्मा
6 शैल मंजूषा

संजय भास्‍कर said...

ब्लाग जगत के महानुभावों से भी यही निवेदन है कि वे विवादों पर टिप्पणी करने से बचें।