Friday, April 30, 2010

..........टिप्पणीकार जाहिल हैं ????

क्या टिप्पणीकार जाहिल हैं ? .... क्या पोस्टों पर वाह वाही करने वाले जाहिल हैं ? ... यह प्रश्न मैं नहीं उठा रहा हूं ... वरन एक फ़र्जी आई डी बनाकर दर दर भटक रही "Jyotsna" ने अभिव्यक्त किये हैं उसके विचार ब्लाग : - "बिना लाग लपेट जो कहा जाए वही सच हैं" की पोस्ट "पढे लिखे जाहिल"?? मे टिप्पणी स्वरूप दर्ज हैं जो इस प्रकार हैं :-"यदि आपको घटिया पोस्टों पर वाहवाही करने वाले जाहिल देखने हों तो कृपया इस लिंक पर जाएँ http://kaduvasach.blogspot.com/2010/04/blog-post_29.html " ... इस फ़र्जी "Jyotsna" ने पिछली पोस्ट "उठा पप्पू पटक पप्पू डाट काम !!!" पर फ़र्जी टिप्पणी दर्ज की थी जिसे डिलिट कर दिया गया था ... "खुजली" होने पर वह फ़िर दो-तीन बार आ गई/गया ... एक तो फ़र्जी काम, और बे-वजह दर दर भटकना .... "पढे लिखे जाहिल??" पोस्ट से किसका भला हुआ है?

... दर दर भटकना ... यहां तक तो ठीक है पर अब उसकी "खुजली" इतनी ज्यादा हो गई है कि वह किसी एक से शांत होने वाली जान नहीं पडती है ... इसलिये ही उसने इस बार सारे ब्लागजगत के पाठकों/टिप्पणीकारों को ही "जाहिल" कह कर आमंत्रित किया है ... अरे आमंत्रित क्या किया वरन खुले रूप से ललकारा है ... देखो भाई .... जरा गौर से देखो .... कौन है ये Jyotsna जो अपनी खुजली (खुजली अर्थात दिमागी कीड़ा के काटने से उपजी पीडा से है !!!) मिटवाने कमर मटकाते दर दर भटक रही है ... देखो अगर कोई है उसका तो संभाल कर रखो कहीं ऎसा हो कि .... बाद में लेने-के-देने पड जाये !!!

58 comments:

Kumar Jaljala said...

अल्लाह के फजल से ज्योत्सना जो कोई भी है वह पागल है। बाकी उदय साहब आपने जलजला को भी फर्जी समझ लिया है इसका दुख है। जलजला आपका एक पाठक है और सदा यही चाहता है कि आप लोग अच्छा लिखे.आप लोग सही दिशा की ओर बढ़ रहे हैं।

कडुवासच said...

@Kumar Jaljala
बात दर-असल ये है कि आप लोग टिप्पणी मार कर चले जाते हो, जब आपकी तलाश की जाती है तो संपूर्ण ब्लागजगत में कहीं दिखाई ही नहीं देते ... अब ऎसी परिस्थिति में न जाने क्यों मेरी कलम से "फ़र्जी" शब्द निकल ही जाता है !!!

Kumar Jaljala said...

मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है। मैं तो उनकी... करने निकला हूं जिनकी मुझे.... करनी है। अच्छा यह बताइए लखनऊ से छत्तीसगढ़ की दूरी कितनी है।

अम्मा जी said...

अरे उदय बिटवा...ई कुलच्छनियों को जानत नाही हो का? ई त सुरसतिया की चेली चपाटी हैं..इनको झौंटा पकरिकै दारीन को कुटावडो करणो पडिहै...ऊ सुरसतिया कपूत कहीं का, इन कुलच्छनियों की टिप्पणी छापेगा अऊर अम्माजी की नाही छापता...
ऊ तो चर्चा भी उसके चार छ जोडीदारन की ही करबे करता है.

अब का क्र सकत हैं? पूत कपूर होके...इन कुलछ्छनियों अऊर लौंडे लपाडन की संगत मे पडा है नालयाक कहीं का.

अम्माजी

Rashami kumavat said...

बिना लाग लपेट के जाहिल टिप्पणी कारों की सूची

M VERMA, April 29, 2010 7:00 AM

ललित शर्मा, April 29, 2010 7:02 AM

नरेश सोनी, April 29, 2010 7:12 AM

मनोज कुमार, April 29, 2010 7:27 AM

राज भाटिय़ा, April 29, 2010 7:45 AM

Sonal Rastogi, April 29, 2010 8:23 AM
Suman, April 29, 2010 8:47 AM

Kumar Jaljala, April 29, 2010 8:58 AM

बी एस पाबला, April 29, 2010 9:11 AM

honesty project democracy, April 29, 2010 9:21 AM

Udan Tashtari, April 29, 2010 11:08 AM

निशांत मिश्र - Nishant Mishra, April 29, 2010 6:38 PM

Hindiblog Jagat, April 29, 2010 6:51 PM

राजीव तनेजा, April 29, 2010 7:37 PM

महेन्द्र मिश्र, April 29, 2010 11:25 PM

Jyotsna, April 30, 2010 2:25 AM

दीपक गर्ग, April 30, 2010 3:44 AM

arvind, April 30, 2010 4:04 AM

रश्मि प्रभा..., April 30, 2010 6:02 AM

Babli, April 30, 2010 6:39 AM

डा० अमर कुमार said...


@ Rashami kumavat Ji
मुझ अकिंचन को ज़ाहिलों की फ़ेहरिस्त से क्यों अलग रखा गया है ?
@ अम्मा जी,
तेरे कणे, अपणी घणी राम राम चहुँपे !

Girish Kumar Billore said...
This comment has been removed by the author.
Girish Kumar Billore said...

सही है ज्योत्स्ना मदाम
के अलावा मुझे कोई और ज़ाहिल नजर नही आया

संजय भास्‍कर said...

संभाल कर रखो कहीं ऎसा न हो कि .... बाद में लेने-के-देने पड जाये !!!

राजीव तनेजा said...

जाहिल को सभी जाहिल नज़र आते हैं...

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

श्याम भाई,
कल आपने इस पोस्ट मेंबहुत ही सरल बोध काव्य प्रस्तुत किया था। जो कि हमें अच्छा लगा।


किसी जाहिल को समझ नहीं आई तो वह उसके मस्तिष्क विकार का दोष है ना कि कविता का।

अब अपनी पोस्ट में क्या लिखा जाए और किसकी पोस्ट में क्या टिप्पणी करनी है,इन जाहिलों से ही पूछना पड़ेगा क्या?

बसंती said...

लो :-)
एक अनपढ़ जाहिल को समझा कर आ रहा बिना लागलपेट के

बसंती said...

अब यहां पढे लिखों से निपटना पडेगा

बसंती said...

ये ज्योत्सना कौन है बता दूंगा तो बात में मजा नहीं आयेगा

बसंती said...

आजकल तो सपने में भी किसी को डाट काम बोलो तो कान खीचने चलपडते हैं

बसंती said...

खुजली तो वैसे बड़ा पुण्य का काम है।कोई और करे तो क्या बात है

बसंती said...

आप देख ही लो जहा होगी रचना जाहिल कहलाती वहीं कमर मटकाती होगी ज्योत्सना

बसंती said...

उठा पप्पू चला चप्पू वाली कविता होती तो कब का हो गया होता टप्पू

बसंती said...

इतनी गहरे भाव वाली कविता जिसको समझ नहीं आई वह दूसरों को जाहिल कह रहा

बसंती said...

आपको मालूम है ना इससे पहले पढे लिखे जाहिल किसे कहा गया था

बसंती said...

नहीं मालूम ना

बसंती said...

इससे पहले जाहिल कहा गया था अरविन्द मिश्रा जी को

बसंती said...

कब कहा गया था?

बसंती said...

बताता हूँ

बसंती said...

पानी पी कर आता हू फिर बताऊगा

बसंती said...

आ गया

बसंती said...

कब जाहिल कहा गया था अरविन्द मिश्रा जी को?ये तो अरविन्द जी ही बताये तो अच्छा होगा

बसंती said...

किसने कहा था यह बता सकता हू

बसंती said...

ये कह कहा था रचना ने

बसंती said...

रचना सिंह ने

बसंती said...

टेक्सटाईल डिजाईनर रचना सिंह ने

बसंती said...

विश्वास नहीं होता ना

बसंती said...

रचना ने कहा था

बसंती said...

रचना इसलिये लिख रहा कि रचना को जी लगवाना पसम्द नहीं ये बडी नहीं कहलाना चाह्ती

बसंती said...

हां रचना ने कहा था

बसंती said...

अरविन्द जी आप मे और मुझमे वही फरक हैं जो एक पढे लिखे जाहिल और एक पढे लिखे संभ्रांत व्यक्ति मे होता हैं आप एक पढे लिखे जाहिल हैं

बसंती said...

खुद ही देख लो ना वह लिंक
http://mypoeticresponse.blogspot.com/2009/05/blog-post_17.html?showComment=1242536040000#c1100199646866852139

बसंती said...

और अब यह ज्योत्सना कह रही कि यहान सब पढे लिखे जाहिल हैं

बसंती said...

अब यह दोनो बहने तो हो नही सकती

बसंती said...

मै चला अब ओफ़िस के लन्च रूम मे

बसंती said...

कोई नई बात हो तो बताना

मसीहा said...

ब्लाग जगत को बर्बाद करने में सिर्फ़ दो ही लोगों का हाथ,पैर,सिर,मुड़ सबकुछ है। प्रथम कुंठा और द्वितिय उसकी बहन कुंठी। दोनो ने मिलकर ब्लागजगत की नैया डूबा दी है।
अब ब्लाग जगत को कनफ़ुकिया और कुंठी से बचाने के लिए आ गया है मसीहा। जो रिश्ते में तो इनका बाप लगता है और नाम अजनबी मसीहा।

M VERMA said...

भाई उदय
यहाँ तो सभी विद्वान हैं, खास बात ये है कि विद्वत्ता केवल स्वयं में दिखाई देती है.

Arvind Mishra said...

कौन है ये Jyotsna ?
मैं भी तो जानू? कोई फुर्सत और जलन का मारा होगा बेचारा !

Arvind Mishra said...

भैया कूप कृष्ण मान गए आपकी मेमोरी को यार ..आप मेरी ही ब्लॉग आत्मा तो नहीं हो भाई आप ?
जैसी मुझे लगी वैसी ही आपको भी और लिंक तक सजोया हुआ -सलाम !
मुझसे टच में रहें न !

Udan Tashtari said...

लिस्ट में नाम आ गया मतलब पास हो गये. :)

Randhir Singh Suman said...

nice

Kumar Jaljala said...

कूपकृष्ण की बात से पूरी तरह सहमत। जो भी हो कूपजी का सभी विषयों पर अध्ययन बहुत हैं। ब्लागजगत के जगत के अच्छे लोग उनमें अपना अक्स देखते हैं। एक रात का मसीहा जी भी आ गए हैं। देखते हैं ये बंधु गलत का साथ देते हैं या सही का।

कडुवासच said...

@मसीहा जी
.... स्वागत है भाई जी ... कुछ करो इन कुंठा-कुठा ... बे-वजह ही दर दर भटक ... देखो, जरा गौर से देखो!!!!

कडुवासच said...

@कूप कृष्ण जी
आप तो अंतरयामी जान पड रहे हो ... आप का भी स-सम्मान स्वागत है!!!

honesty project democracy said...

उदय जी निंदक को सम्मान देना सीखिए / इस तरह कडुआ सच के माध्यम से किसी को अपने दिल की बात कहने से हतोत्साहित करना ,आप जैसे समझदार ब्लोगर को शोभा नहीं देता / आपको मेरी एक कडुवी सलाह है, कृपा कर कुछ गंभीर मुद्दों पर अपना कडुआ सच व्यक्त कीजिये, जिसका अहसान, यह देश और समाज हमेशा मानेगा और इसके लिए आपको हमेशा याद करेगा /

नरेश सोनी said...

जाहिलों की सूची में अपन भी..
मतलब अपनी भी तरक्की पक्की।
जय हो माता रानी की।
धन्यवाद

नरेश सोनी said...

उदय जी, इन अंटियों के लिए टेंशन लेने का नहीं।
वैसे भी, अपना एक खलनायक भाई बोल के गया है- टेंशन लेने का नहीं देने का।

अपन लोग इधर से टेंशन दे रहे हैं तो भाई, भाभी, अंकल, अंटी लोगों को परेशानी तो होगी ही।

राज भाटिय़ा said...

कौन है ये Jyotsna ??? है तो कोई नारी ही नाम से तो यही लगता है? वेसे लगता है कोई मर्दो की सताई हुयी आत्मा है जो सिर्फ़ मर्दो को ही जाहिल बता रही है, या सिर्फ़ उन महिलाओ को जो हम सब के संग ओर इस ब्लांग जगत को अपना परिवार समझती है, इस खुजली कॊ हम पकड ही लेगे, लेकिन उस का लाभ क्या? यह तो फ़िर से आई डी बदल बदल कर परेशान करेगी...
वेसे सीधा हिसाब है उस हिट लिस्ट के अनुसार जिन जिन ब्लांगरो ने इस से पंगा लिया है, वो जरुर इसे पहचान जायेगे.... मैने तो एक दो बार ही पंगा लिया था जी...वेसे इसे जानते सभी है... लेकिन कोई सबूत अभी तक नही

sonal said...

अच्छा हुआ हम जाहिल घोषित हो गए ...अब सीखने के अवसर ज्यादा है ..खाली बर्तन ही भरा जा सकता है

मनोज कुमार said...

अच्छा हुआ हम जाहिल घोषित हो गए |
पर जो अच्छा लगता है उसे अच्छा ही कहेंगे। किसी से सीखने की उम्र और अकल नहीं है।

अम्मा जी said...

अरे वाह कूपकृष्ण त बिल्कुल राजा बिटवा है. बहुते अच्छा काम किया बिटवा तैने. ई कुलच्छनियों अऊर इस कपूर सुरसतिया की अक्ल ठीकाने लगाओ. हम तुम लोगन के साथ बा. अऊर ई जेतना जाहिल लोग है ई सब हमार प्यारा दुलारा बिटवा बिटिया हैं..कोई इनकी तरफ़ आंखे ऊठायेगा त अम्माजी उसकी आंखें निकार डारेगी...कुलच्छनियों अऊर नालायको ई पक्का साम्झ लियो...अब तुहार दिन चले गईल..

चुपएचाप...तुहार दू चार गो लोगों की चर्चा कर लिंक ल्यो अऊर दो..अऊर मजे करो..तुमसे अऊर त कछु हो नाही सकत.

अरे कपूत और कपूतनी..ई हिंदी की सेवा कर रहे हो तुम लोग? डूब मरो कहीं एकाध फ़िट गहरे बाथ टब में...खबरदार अगर तालाब में जाकर डुबे तो...काहे से कि तालाब का पानी गंदा करोगे अऊर आजकल पानी की बहुते कमी है.

डागदर अमर को अम्माजी का रामराम पहुंचे...डागदर हमार ई नालायक बिटवा बिटियन को आपै कछु जमालघोटा टाईप दवा देके सुधारो...जिससे इनका बुद्धि निर्मल हुई जाये...

-तुम सबकी अम्माजी

डॉ टी एस दराल said...

कोई बताएगा ये क्या हो रहा है ।
हिंदी ब्लोगिंग का पतन ?