* 33 *
“जो लोग मेरे समर्थक व अनुयायी हैं वे हमेशा मेरी प्रसंशा करेंगे, किंतु मुझे उन लोगों की आवश्यता है जो मुझे यह बोध करायें कि मुझसे कहाँ चूक हो रही है।”
* 32 *
“हमारी अच्छी सोच की सार्थकता तब है जब हम उसे कार्यरूप में परिणित करें।”
* 31 *
“स्त्री-पुरुष की संरचना व उत्पत्ति नवीन सृजन के दृष्टिकोण से की गई है इसलिये ही वे एक-दूसरे के पूरक हैं।”
* 30 *
“सच्चाई छिपाकर झूठी शान के लिये दिखावे का जीवन जीना झूठी महत्वाकाँक्षा है जो एक दिन मनुष्य को आत्मग्लानी के सागर में डुबोकर जीना दुस्वार कर देती है।”
* 29 *
“पद की मर्यादा के अनुरुप कार्य न करना, व्यवस्था को बिगाडना है।”
* 28 *
“भाग्य के भरोसे बैठना उचित नहीं है, कर्म भी भाग्य को सुनहरा बनाते हैं।”
"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Monday, June 15, 2009
बोल-अनमोल
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बोल-अनमोल
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15 comments:
बहुत सुंदर ओर अच्छी बाते, अपनाने योग्या.
धन्यवाद
uday ji
i think you are a dynamic person .... very nice .
ek aisi blog jo jindagi ke star ko badhane ki baat karati ho .......lupt hote chetan bhaw ki marammat ho sake ....bahut khub
सुंदर, अच्छी बाते...
“पद की मर्यादा के अनुरुप कार्य न करना, व्यवस्था को बिगाडना है।”
akdam shi hai pad ka sdupyog hi mryada ko bdhata hai.
व्यक्तित्व निखार देने वाले वचन
jinzgi jeene ka saar dikha diya aapne
अजी आपके ब्लॉग का तो हैप्पी बड्डे आया और चला गया आपने बताया नहीं :(
वीनस केसरी
aapke vichar ko padhkar jingi ko ek raah mile hame, yahi aasha hai
सुन्दर और सदा याद रखने वाली बातें,
अपनाने के प्रयास में ही तो सफ़र कट रहा है.
चन्द्र मोहन गुप्त
इतना गहरा ज्ञान का खजाना ....?? इसे जानते तो सभी हैं बस अपनाने से ही कतराते हैं.....पर गाहे-ब-गाहे आप जैसे याद दिलाते रहें तो सोचते तो हैं ही .....!!
बहुत ख़ूब..........
aapke vichaar jan jan ke vichaar he/ saadhuvaad/
great thoughts!
sahej kar rahne layak post.
shukriya..
na kewal sahej kar rakhne layak balki inhen jeevan mein apnana bhi chaheeye.
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