Monday, May 25, 2009

शेर - 51

शेर - 51
हम जो लिख दें, तो समझ लो क्या लिखा है
तुम जो पढ लो, तो समझ लो क्या लिखा है।
शेर - 50
दौलतें बाँधकर पीठ पर ले जायेंगे
जमीं पे गददारी के निशां छोड जायेंगे।
शेर - 49
क्यूँ रोज उलझते-सुलझते हो मोहब्बत में
क्या हँसते-मुस्कुराते जीना खुशगवार नहीं ।

6 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत सही, बधाई!!

नीरज गोस्वामी said...

श्याम जी क्या खूब शेर कहे हैं...वाह...
नीरज

Dr. Amar Jyoti said...

बहुत ख़ूब!

दिगम्बर नासवा said...

दौलतें बाँधकर पीठ पर ले जायेंगे
जमीं पे गददारी के निशां छोड जायेंगे

ऐसे लोग भी होते हैं ........... लाजवाब शेर सब के सब

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुंदर लिखा, ओर सच भी

Dr. Chandra Kumar Jain said...

बढ़िया है भाई.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन