शेर - 51
हम जो लिख दें, तो समझ लो क्या लिखा है
तुम जो पढ लो, तो समझ लो क्या लिखा है।
शेर - 50
दौलतें बाँधकर पीठ पर ले जायेंगे
जमीं पे गददारी के निशां छोड जायेंगे।
शेर - 49
क्यूँ रोज उलझते-सुलझते हो मोहब्बत में
क्या हँसते-मुस्कुराते जीना खुशगवार नहीं ।
6 comments:
बहुत सही, बधाई!!
श्याम जी क्या खूब शेर कहे हैं...वाह...
नीरज
बहुत ख़ूब!
दौलतें बाँधकर पीठ पर ले जायेंगे
जमीं पे गददारी के निशां छोड जायेंगे
ऐसे लोग भी होते हैं ........... लाजवाब शेर सब के सब
बहुत ही सुंदर लिखा, ओर सच भी
बढ़िया है भाई.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
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