Sunday, May 10, 2009

शेर - 35

क्यूँ खफा हो, अब वफा की आस में
हम बावफा से, बेवफा अब हो गये हैं।

4 comments:

रवीन्द्र दास said...

aakhir aisi kya narazgi hai?

दिगम्बर नासवा said...

लाजवाब शेर.............छोटे छोटे शेरों में आप छा जाते हैं

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाहवा....

डॉ. मनोज मिश्र said...

लाजवाब....