Tuesday, May 5, 2009

शेर - 32

तुम्हे फुर्सत-ही-फुर्सत है, ‘आदाब-ए-मोहब्बत’ की
हमें फुर्सत नहीं यारा, ‘सलाम-ए-मोहब्बत’ की ।

7 comments:

"अर्श" said...

HA HA HA BAHOT HI KHUBSURATI SE KAHI HAI AAPNE BAAT ... YE ANDAAJ BHI AAPKE PASAND AAYE ... NAJAAKAT SHOKHIYON ME HAI .. HAR LAHJE ME ...

BADHAAYEE SWIKAAREN...


ARSH

Vinay said...

बहुत ख़ूब

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चाँद, बादल और शामगुलाबी कोंपलें

हरकीरत ' हीर' said...

तुम्हे फुर्सत-ही-फुर्सत है, ‘आदाब-ए-मोहब्बत’ की
हमें फुर्सत नहीं यारा, ‘सलाम-ए-मोहब्बत’ की ।

बहुत खूब......!!

रश्मि प्रभा... said...

bahut khoob

mark rai said...

fantastic...

अमिताभ श्रीवास्तव said...

wah////
bahut achcha sher///

Anonymous said...

अंदाज पसंद आया।