Wednesday, April 8, 2009

टिप्पणी

"... धर्म-कर्म को छोड गया हूँ

जात-पात को भूल गया हूँ

प्याला हाथ में उठा लिया हूँ

सब से हाथ मिला लिया हूँ

गोरे-काले की बात नही है

ऊँच-नीच का भेद नही है

जाम-से-जाम लडा रहा हूँ

पी-पी कर अब झूम रहा हूँ ...।"

ये पंक्तियाँ आदरणीय महावीर जी के ब्लाग पर टिप्पणी स्वरूप प्रकाशित की गई हैं कभी फुर्सत मे पूर्ण कर प्रकाशित करने का प्रयास होगा।

10 comments:

Anil Kumar said...

आज पता चला मयखाने को मंदिर क्यों कहते हैं!

अमिताभ श्रीवास्तव said...

poorna kijiye...
vese zaam jab bhi halaq me utarta he to sab kuchh apne rang me hi dikhta he..kuchh bhi kiya aour kese bhi jiyaa jaa sakta he..

intjaar is rachna ki poornta ka..

महावीर शर्मा said...

उदय जी
पहले तो आप का धन्यवाद करना चाहता हूं कि मेरी ग़ज़ल पर टिप्पणी देते हुए इतनी सुंदर
रचना दी। पढ़कर मज़ा आगया। हां, बाकी पंक्तियों की इंतज़ार रहेगी।
मैं भी अपनी एक बहुत पुरानी रचना की कुछ पंक्तियां दे रहा हूं:
१) जलथल का क्या योग है पंडित
मैं प्याला तू सूखी माला
मरुभूमि तेरा है मंदिर
मधुभूमि मेरी मधुशाला

२) अम्बर पर अमृत का प्याला
होगा रे पंडित मैं क्या जानूं
अवनि पर अमृत जो मिलता
पीते दिवाने भर भर प्याला
(शेष फिर कभी)

रश्मि प्रभा... said...

bahut jabardast tippani,poornta ki pratikshaa rahegi........

mark rai said...

प्याला हाथ में उठा लिया हूँ
सब से हाथ मिला लिया हूँ
गोरे-काले की बात नही है
ऊँच-नीच का भेद नही है
जाम-से-जाम लडा रहा हूँ
पी-पी कर अब झूम रहा हूँ ..
....nice ..mujhe bhi ab kuchh kuchh samajh me aane laga hai kaise likhu...kavita kahani se nata nahi raha hai n isliye mistake to swaabhaawik hai ..waise aap ka sujhaaw milta rahega to kuchh sikh to jarur lunga ...sikhna hi to apne haath me hai ..achchhe bure ka faisala to koi dusara hi karega ...aapane sujhaaw diya ...isake liye aapka shukriya ada karta hoon


सरल व संछेप ही सफलता का राज है । इसी में पुरी दुनिया सिमटी हुई है । पुरा पन्ना जिसे नही समझा सकता उसे एक शब्द ही समझा देता है ।

Harshvardhan said...

bahut sundar rachna hai post padane ke liye aapka shukria

"अर्श" said...

ISKE AGALE ANK KA INTAZAAR HAI JAB SHRESHTH SHRI MAHAAVIR JI NE APNE LEKHANI SE BADHAAEE KAR DIYA TO HAMAARI KYA BISAAD HAI .... BADHAAYEE


ARSH

दिगम्बर नासवा said...

सुन्दर पंक्तियाँ है

परमजीत सिहँ बाली said...

सुन्दर पंक्तियां हैं।बधाई।

जयंत - समर शेष said...

Excellent.
Real facts.

Please write more on this one.

~Jayant