"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
इस तरह मुँह फेर कर जाना तेरादेखना एक दिन तुझे तडफायेगा ।
इस तरह मुँह फेर कर जाना तेरा देखना एक दिन तुझे तडफायेगा ।सुन्दर भावव्यक्ति.इसी लिए तो हम पलट कर शीघ्र ही आ गए आपके ब्लॉग पर टिपियाने के लिए चन्द्र मोहन गुप्त
आपके ब्लॉग को पढना अच्छा लगा ..कई शेर बहुत अच्छे लिखे हैं आपने शुक्रिया
behtareen...lekin ek sher hi kyun...poori ghazal kyun nahin?neeraj
vaah vaah.....behatreen लिखा है
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4 comments:
इस तरह मुँह फेर कर जाना तेरा
देखना एक दिन तुझे तडफायेगा ।
सुन्दर भावव्यक्ति.
इसी लिए तो हम पलट कर शीघ्र ही आ गए आपके ब्लॉग पर टिपियाने के लिए
चन्द्र मोहन गुप्त
आपके ब्लॉग को पढना अच्छा लगा ..कई शेर बहुत अच्छे लिखे हैं आपने शुक्रिया
behtareen...lekin ek sher hi kyun...poori ghazal kyun nahin?
neeraj
vaah vaah.....
behatreen लिखा है
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