मैं टूटा नहीं था उतना उसके तोड़ने से
जितना मैं बिखर गया हूँ
तेरे छूने से
तू है कौन
ये मुझको बतला दे
मंशा क्या है आने की जतला दे
मैं खास नहीं हूँ
ये भी तुझको मालूम है
तू आम नहीं है
ये भी मुझको मालूम है
क्यूँ बिखेर चला जा रहा है मुझको
बस, तू ..
इतना बतला दे
क्यूँ आया था ...
मंशा क्या थी .. जतला दे .... ?
मैं टूटा नहीं था उतना .... !!
~ उदय
जितना मैं बिखर गया हूँ
तेरे छूने से
तू है कौन
ये मुझको बतला दे
मंशा क्या है आने की जतला दे
मैं खास नहीं हूँ
ये भी तुझको मालूम है
तू आम नहीं है
ये भी मुझको मालूम है
क्यूँ बिखेर चला जा रहा है मुझको
बस, तू ..
इतना बतला दे
क्यूँ आया था ...
मंशा क्या थी .. जतला दे .... ?
मैं टूटा नहीं था उतना .... !!
~ उदय
1 comment:
बढ़िया
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