कौन जानता था, किसने सोचा था
कि
जिन्दगी बेरहम निकल जायेगी
और वक्त ... जालिम
कि -
कभी तन्हाईयाँ होंगी, और हम तन्हा होंगे
वर्ना
हम भी सहेज कर रख लेते कुछ रिश्ते
ये सोच कर
कि -
कभी काम आएंगे ... !
इसके लिए
हमें
बस .. थोड़ा ... खुदगर्ज ही तो बनना था !!
~ उदय
कि
जिन्दगी बेरहम निकल जायेगी
और वक्त ... जालिम
कि -
कभी तन्हाईयाँ होंगी, और हम तन्हा होंगे
वर्ना
हम भी सहेज कर रख लेते कुछ रिश्ते
ये सोच कर
कि -
कभी काम आएंगे ... !
इसके लिए
हमें
बस .. थोड़ा ... खुदगर्ज ही तो बनना था !!
~ उदय
1 comment:
बढ़िया
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