Thursday, May 18, 2017

माथाफोड़ी

माथाफोड़ी ... ?
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हिन्दी में सिर्फ वे लोग ही अच्छा नहीं लिखते
जो नामी-गिरामी हैं
वे लोग भी अच्छा लिखते हैं
जिनका कोई नामो-निशान नहीं है,

सिर्फ वे लोग ही
हाइवे, रास्ते, पगडंडी नहीं बना रहे
जो छप रहे हैं, छापे जा रहे हैं
वे लोग भी
राह दिखा रहे हैं, लकीरें खींचते जा रहे हैं
जो छप नहीं रहे,

लेखन की लकीरें
कितनी अमिट हैं, कितनी झंकझोरने वाली हैं
इसका निर्धारण
वे आलोचक, समालोचक, समीक्षक तय नहीं करेंगे
जो हाथों पे परोसी जा रही लेखनी पर
अपने हस्ताक्षर कर रहे हैं,

लेखनी कितनी पैनी है, धारदार है
किसकी उन्नीस .. किसकी बीस .. किसकी इक्कीस है
यह परखने के लिए, देखने के लिए
निःसंदेह ...
एयरकंडीशन में बैठे लोगों को
लू के थपेड़ों संग साक्षात्कार करते हुए
माथाफोड़ी .. माथापच्ची ... करनी पड़ेगी
वर्ना ... ???

~ श्याम कोरी 'उदय'

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