बहुत आसान था
मौज की जिन्दगी जीना,
मगर .... मैंने .....
ईमान नहीं बेचा .. ईमानदारी नहीं बेची,
जज्बात नहीं बेचे .. ख्यालात नहीं बेचे
लोगों ने चाहा बहुत .. पर ... स्वाभिमान नहीं बेचा,
खैर .. जो हुआ सो हुआ
रोटी .. रूखी-सूखी सही .. पर कभी भूखा नहीं सोया,
पर ... उसूल.. उसूल रहे
मैं.. मैं रहा ...
न हारे कभी .. न जीते कभी
चलते रहे .. बढ़ते रहे .. पर ... सच ....
बहुत आसान था
मौज की जिन्दगी जीना ..... ?
मौज की जिन्दगी जीना,
मगर .... मैंने .....
ईमान नहीं बेचा .. ईमानदारी नहीं बेची,
जज्बात नहीं बेचे .. ख्यालात नहीं बेचे
लोगों ने चाहा बहुत .. पर ... स्वाभिमान नहीं बेचा,
खैर .. जो हुआ सो हुआ
रोटी .. रूखी-सूखी सही .. पर कभी भूखा नहीं सोया,
पर ... उसूल.. उसूल रहे
मैं.. मैं रहा ...
न हारे कभी .. न जीते कभी
चलते रहे .. बढ़ते रहे .. पर ... सच ....
बहुत आसान था
मौज की जिन्दगी जीना ..... ?
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