Saturday, July 30, 2016

रहनुमाई ... !

अब तू ...
रहनुमा ... बनने .. दिखने ..
की .. कोशिश मत कर

हम जानते हैं
तब से ... तेरी रहनुमाई
जब .. तूने ...

पीठ दिखाई थी
जब मैं ... लड़ रहा था
अकेला ..

कुदरती कहर से
और तू .. हाँ .. तू ..
देखते ही देखते .. ओझल हो गया था

मेरे पैरों के तले की ..
जमीं को ...
धीरे-धीरे .. खिसकता देख के ..... ?

~ श्याम कोरी 'उदय'

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