चाहो तो भी
न चाहो तो भी
शहर के रंग में
खुद को ... रंगना पड़ता है
हवाओं के संग में उड़ना पड़ता है
यही दस्तूर हैं
यही रिवाज हैं
जमाने के ...
कुदरत के ...
तुम मानो ... या न मानो ... ?
~ श्याम कोरी 'उदय'
न चाहो तो भी
शहर के रंग में
खुद को ... रंगना पड़ता है
हवाओं के संग में उड़ना पड़ता है
यही दस्तूर हैं
यही रिवाज हैं
जमाने के ...
कुदरत के ...
तुम मानो ... या न मानो ... ?
~ श्याम कोरी 'उदय'
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