Friday, April 1, 2016

लफ्फाज ...

लफ्फाज ... !
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लफ्फाजियों के दम पर 
तू ... कब तक बैठेगा तनकर,

शर्म कर ... झाँक गिरेबां में
तू ... बन बैठा है 'बॉस'
कमीनों
दोगलों
दलालों
ढोंगियों
माफियाओं 
भगोड़ों
कालाबाजारियों और मिलावटखोरों का,

लफ्फाजियां तू छोड़ ... कुछ बो
फसल काटेगी जनता
तू ... कुछ तो ... अच्छा बो !!!

~ श्याम कोरी 'उदय'

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