Friday, December 18, 2015

इंकलाब

जिस दिन ... हम लिखेंगे ..... इंकलाब ...
तो समझ जाना ...
वो ..... इंकलाब ही है, 

कोई ... बैनर ... पोस्टर ... जुलुस ... धरना ... प्रदर्शन ...
जैसा ... दिखावा नहीं है, 

इंकलाब होगा ... खून बहेगा ... बहाया जाएगा
हक़ के लिये ... आजादी के लिये
गुलामी की ... जंजीरें ... बेड़ियाँ ... तोड़ी जाएंगी, 

तुम्हें ... साथ आना हो ... तो आ जाना
वर्ना ... हम अकेले ही
लड़ लेंगे ... जीत लेंगे ... अपनी आजादी ..... ?

~ श्याम कोरी 'उदय'

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