इतने ज्यादा भी नहीं थे उनकी यादों के अंधेरे
कि हम चलते भी रहें औ उजाले भी न आयें ?
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बहुत हुईं तेरी खामोशियाँ
गर कुछ है दिल में, तो अब उसे बेधड़क धड़कने दो ?
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बहुत बाहियात निकले रहनुमा हमारे
तड़फ को, कह रहे हैं वे इन्जॉय करो ?
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गर तुझे गुमां है तो करते रह
आज, हमें भी फुर्सत नहीं है ?
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आज,……………… जरुरत क्या है तूफानों की
बस्तियां शहर की, फरमानों से भी उजड़ जाती हैं ?
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गर तुझे गुमां है तो करते रह
आज, हमें भी फुर्सत नहीं है ?
साधू साधू
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