Tuesday, November 5, 2013

मुस्कुराहट ...

उनसे मिलने की जिद में, हम खुद अपना पता गुमा बैठे 
अब, न उनका कोई पता है और न अपना कोई ठिकाना ?
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गर फुर्सत मिले तो एक बार इधर भी देख लेना 
यहाँ सदियाँ गुजर रही हैं… इक तेरे इंतज़ार में ?
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वे तो सियासती लोग हैं 'उदय', सियासत तो करेंगे ही 
कोई मरे या जिये, उन्हें किसी से कोई दरकार नहीं है ? 
कभी थी तमन्ना उसकी चौखट पे दम निकले मगर 
जालिम ने मुस्कुरा के ही दम निकाल दिया है आज !
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तेरी मुस्कुराहट में जादू है इसका हमें अंदाजा नहीं था 
वर्ना, कसम 'खुदा' की………… हम आँखें फेर लेते !
… 

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