उनसे मिलने की जिद में, हम खुद अपना पता गुमा बैठे
अब, न उनका कोई पता है और न अपना कोई ठिकाना ?
…
गर फुर्सत मिले तो एक बार इधर भी देख लेना
यहाँ सदियाँ गुजर रही हैं… इक तेरे इंतज़ार में ?
…
वे तो सियासती लोग हैं 'उदय', सियासत तो करेंगे ही
कोई मरे या जिये, उन्हें किसी से कोई दरकार नहीं है ?
…
कभी थी तमन्ना उसकी चौखट पे दम निकले मगर
जालिम ने मुस्कुरा के ही दम निकाल दिया है आज !
…
तेरी मुस्कुराहट में जादू है इसका हमें अंदाजा नहीं था
वर्ना, कसम 'खुदा' की………… हम आँखें फेर लेते !
…
No comments:
Post a Comment