मेरी शौहरत-औ-बुलंदियों में, मेरे रकीबों का हाँथ है
वर्ना, मेरी खुद की,…कहाँ इतनी औकात थी यारो ?
…
बहुत दूर छोड़ आया हूँ मैं अपना जतन
अब जहाँ हूँ मैं 'उदय' वही है मेरा वतन ?
…
कदम कदम पे, आज प्याज के खूब चर्चे हैं 'उदय'
सच ! अब वो नेता भी हैं, और दुकानदार भी हैं ?
…
बहुत कुछ, बदल लिए हैं मिजाज हमने भी 'उदय'
सुनते हैं, … एक-से ख्यालात उन्हें भाते नहीं हैं ?
…
हम जानते हैं, वे बगैर शर्त तो नजर उठाते तक नहीं हैं
आज देख के मुस्कुराए हैं, जरुर कोई सौदा हुआ होगा ?
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वर्ना, मेरी खुद की,…कहाँ इतनी औकात थी यारो ?
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बहुत दूर छोड़ आया हूँ मैं अपना जतन
अब जहाँ हूँ मैं 'उदय' वही है मेरा वतन ?
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कदम कदम पे, आज प्याज के खूब चर्चे हैं 'उदय'
सच ! अब वो नेता भी हैं, और दुकानदार भी हैं ?
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बहुत कुछ, बदल लिए हैं मिजाज हमने भी 'उदय'
सुनते हैं, … एक-से ख्यालात उन्हें भाते नहीं हैं ?
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हम जानते हैं, वे बगैर शर्त तो नजर उठाते तक नहीं हैं
आज देख के मुस्कुराए हैं, जरुर कोई सौदा हुआ होगा ?
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1 comment:
सुन्दर अभिव्यक्ति
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