कौन कहता है आकर लिपट जाओ हमसे
कभी, न मिलकर भी मिल लिया करो ?
...
सच ! सुनते हैं वो बहुत बड़े लेखक हैं मगर
उनकी कमर में कहीं हड्डी नहीं दिखती ??
...
अब मेरे जख्मों को तेरे झूठे मरहमों की दरकार नहीं है
'खुदा' जानता है, या तू, ये जख्म दिए किसने हैं ????
...
उफ़ ! बात दिलों की होती तो कोई बात होती
बस, ख्यालात बदल लिए उन्ने ????????
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हमें, बड़े आहिस्ता से अन्फ्रेंड किया है उन्ने
अब वे मिलकर भी मिलते नहीं हमसे ???
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कभी, न मिलकर भी मिल लिया करो ?
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सच ! सुनते हैं वो बहुत बड़े लेखक हैं मगर
उनकी कमर में कहीं हड्डी नहीं दिखती ??
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अब मेरे जख्मों को तेरे झूठे मरहमों की दरकार नहीं है
'खुदा' जानता है, या तू, ये जख्म दिए किसने हैं ????
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उफ़ ! बात दिलों की होती तो कोई बात होती
बस, ख्यालात बदल लिए उन्ने ????????
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हमें, बड़े आहिस्ता से अन्फ्रेंड किया है उन्ने
अब वे मिलकर भी मिलते नहीं हमसे ???
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1 comment:
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार ८ /७ /१ ३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।
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