हाँ ... मैं जानता हूँ 'उदय'
मेरी चिता ...
की आग ठंडी भी नहीं होगी ...
उसके पहले ही ...
कोई चतुर व चालाक 'तमाशेबाज'
मेरी आत्मा को ...
शोकसभा व श्रद्धांजलि रूपी ...
'मंत्रों' से ... सिद्ध कर लेगा !
और फिर ...
वह ...
मेरे सिद्ध लेखन के बल-बूते ...
अपने ...
आलोचना व सम्पादन रूपी ...
'तमाशे' दिखा-दिखा कर
खूब ... तमगे .... दुशाले .... ??
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