जाकिर हुसैन ट्रस्ट प्रकरण : कांग्रेस की साख पर बट्टा ?
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भ्रष्टाचार व घोटालों के दौर में विगत दिनों उत्तरप्रदेश में घटित व सुर्ख़ियों में आये जाकिर हुसैन ट्रस्ट के घोटालेरुपी तरो-ताजा प्रकरण ने न सिर्फ यूपीए सरकार के मंत्री सलमान खुर्शीद को कटघरे में खडा किया है वरन सरकार भी कटघरे में आ गई है, सरकार के कटघरे में आने अर्थात घिरने के पीछे का कारण घोटाले में लिप्त होना नहीं है वरन प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से ट्रस्ट व सलमान खुर्शीद के बचाव में खड़ा होना है। यह सर्वविदित है कि - 'आजतक' न्यूज चैनल ने अपने चैनल पर विगत दिनों प्रसारित किये गए 'ऑपरेशन धृतराष्ट्र' रूपी कार्यक्रम ने जिसमें उत्तरप्रदेश के एनजीओ - जाकिर हुसैन ट्रस्ट द्वारा विकलांगों को उनकी जरुरत के अनुसार साईकल, ट्राईसाईकल, बैसाखी, ईयरमशीन, इत्यादि सामाग्रियों के वितरण में किये गए तथाकथित घोटाले अर्थात नियमित रूप से कैम्प का आयोजन न करना, जरुरतमंदों को उनकी जरुरत के हिसाब से सामग्री का वितरण न करना, मृत लोगों को जीवित बता कर उन्हें भी सामग्री का वितरण कर देना, जरुरतमंदों के नाम सामग्री वितरण लिस्ट में दर्ज करना किन्तु उन्हें सामग्री का वितरण न करना, इत्यादि तरह-तरह के आरोप प्रकाश में आये हैं।
'आजतक' न्यूज चैनल पर 'ऑपरेशन धृतराष्ट्र' रूपी कार्यक्रम में कथित घोटाले के प्रसारण के बाद विपक्षी राजनैतिक पार्टियों में सुगबुगाहट भी शुरू नहीं हुई थी कि तभी मौके की नजाकत को भांपते हुए इंडिया अगेंस्ट करप्शन के प्रमुख कर्ताधर्ता अरविंद केजरीवाल विकलांग लोगों के सांथ हुई तथाकथित घोटालेरुपी छल व बेईमानी के विरोध में खुलकर विकलांगों के समर्थन में खड़े हो गए तथा ट्रस्ट के प्रमुख कर्ताधर्ता केंद्र सरकार के कानूनमंत्री सलमान खुर्शीद के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया। अरविंद केजरीवाल न सिर्फ जाकिर हुसैन ट्रस्ट के संचालक कानूनमंत्री सलमान खुर्शीद व् उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद के विरुद्ध मोर्चा खोलने में सफल रहे वरन केंद्र सरकार को पार्टी बनाने, मुद्दे को भुनाने व जन-जन तक पहुंचाने में भी सफल रहे, क्योंकि केंद्र सरकार के कानूनमंत्री पर उनके द्वारा संचालित ट्रस्ट में विकलांगों को वितरण की जाने वाली सामग्रियों के वितरण में अनियमितता व घोटाले के आरोप लगे हैं। यहाँ यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं होगा कि "बिना आग के धुआँ निकलने की कल्पना करना स्वयं के सांथ बेईमानी करने जैसा होगा" अर्थात अभी तक न्यूज चैनल्स के माध्यम से प्रकाश में आये तथ्यों के आधार इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि केन्द्रीय कानूनमंत्री सलमान खुर्शीद के संचालन में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर विकलांगों को की गई सामग्री वितरण में अनियमितताएं हुई हैं।
खैर, ट्रस्ट पर लगे आरोपों, घोटालों व अनियमितताओं की जाँच के परिणाम स्वरूप देर-सबेर दूध-का-दूध और पानी-का-पानी हो ही जाएगा ... किन्तु इस प्रकरण के प्रकाश में आने से केन्द्रीय कानूनमंत्री सलमान खुर्शीद तथा कांग्रेस पार्टी पर जो ऊंगलियाँ उठी हैं तथा उठ रही हैं, उन पर चर्चा किया जाना अत्यंत आवश्यक होगा, आवश्यक इसलिए कि कांग्रेस पार्टी अर्थात केंद्र सरकार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर सलमान खुर्शीद के बचाव में खड़ी नजर आई है, नजर आ रही है। यहाँ इस बात का उल्लेख किया जाना भी आवश्यक होगा कि - विगत लम्बे समय से केंद्र सरकार पर निरंतर भ्रष्टाचार व घोटालों के आरोप लगते रहे हैं, लग रहे हैं, जिसमें कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, आदर्श सोसायटी घोटाला, टूजी घोटाला, तथा ताजा-तरीन कोलगेट घोटाला प्रमुख हैं, इन घोटालों के आरोपों से समय-समय पर कांग्रेस की छबि निरंतर धूमिल हुई है तथा निरंतर धूमिल हो रही है ... ठीक इसी बीच उनके एक महत्वपूर्ण मंत्री सलमान खुर्शीद व उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद के द्वारा संचालित एनजीओ - जाकिर हुसैन ट्रस्ट पर लगे तथाकथित घोटालों के आरोपों से उनकी अर्थात कांग्रेस पार्टी की साख पर भी बट्टा लगा है, लग रहा है।
जाकिर हुसैन ट्रस्ट पर लगे घोटाले की चर्चा करने का मेरा उद्देश्य मात्र इतना है कि अब तक केंद्र सरकार अर्थात कांग्रेस पार्टी पर लगे भ्रष्टाचार व घोटालों के आरोप सीधेतौर पर आमजन को प्रभावित नहीं कर रहे थे वरन अप्रत्यक्षतौर पर प्रभावित व क्षति कारित कर रहे थे, कर रहे हैं, और संभवत: भविष्य में भी करते रहें ... किन्तु वर्त्तमान में केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्री सलमान खुर्शीद द्वारा संचालित जाकिर हुसैन ट्रस्ट पर लगे घोटालेरुपी आरोप सीधेतौर पर आमजन को प्रभावित कर रहे हैं अर्थात उक्त घोटाले ने न सिर्फ विकलांगों की मन: स्थिति को झंकझोरा है वरन प्रत्येक आमजन के दिल को भी दहलाया है, सीधेतौर पर कहा जाए तो विकलांगों के सांथ ट्रस्ट द्वारा किये गए घोटाले के प्रकाश में आने से देश के एक एक आदमी की भावनाओं को ठेस पहुँची है। उक्त तथाकथित घोटाले की जाँच का स्वरूप क्या होगा, जाँच के परिणाम क्या आएंगे, इन सवालों के जवाब उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं, और न ही यह महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार को सलमान खुर्शीद इस्तीफा देंगे या नहीं, केंद्र सरकार उन्हें बर्खास्त करेगी या नहीं ... किन्तु यह सवाल कांग्रेस पार्टी के लिये अत्यंत विचारणीय व महत्वपूर्ण है कि उक्त तथाकथित घोटालेरुपी क्रूर, घृणित व अमानवीय आचरण के फलस्वरूप कांग्रेस पार्टी की साख पर कितना बट्टा बैठेगा ?
(नोट - एक लम्बे अंतराल के बाद समसामयिक मुद्दे पर कीबोर्ड रूपी कलम चली है ... पत्र-पत्रिका / वेबसाईट से जुड़े मित्रों को यह लेख प्रकाशन योग्य प्रतीत हो, तो अवश्य प्रकाशित करें ... आभार !)
(नोट - एक लम्बे अंतराल के बाद समसामयिक मुद्दे पर कीबोर्ड रूपी कलम चली है ... पत्र-पत्रिका / वेबसाईट से जुड़े मित्रों को यह लेख प्रकाशन योग्य प्रतीत हो, तो अवश्य प्रकाशित करें ... आभार !)
1 comment:
अभी तो उदय जी देखते रहिये कितने घोटाले और सामने आने वाले हैं और यह तो पक्का है की ये सरकार बहुत असंवेदन शील है कोई अपाहिज हो या देश के शहीद की बात हो इनको कोई सरोकार नहीं बस तिजौरी भरनी चाहिए जो इनका पर्दा फाश करता है उस ओफ्फिसर को या तो मरवा देते हैं या तबादला कर देते हैं पर देखना है बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी ---बहरहाल बहुत अच्छा आलेख लिखा बधाई आपको
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