देर सबेर ही सही, उन्हें ..... हम याद तो आये
भले चाहे उन्हें, खुदगर्जी ले आई हो हम तक ?
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कुछ तो वजह जरुर होगी, बेरुखी की
वर्ना, मिले मौके को, वे हाँथ से जाने नहीं देते ?
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कमबख्त, बहुत सख्त हैं, यादें तेरी
छू-छू कर, चूर-चूर कर देती हैं मुझे ?
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आज का दौर, खरीद-फरोख्त का दौर है दोस्त
बस, कीमतों में ....... तनिक तनिक फेर है ?
1 comment:
विस्तार बढ़ा है, खरीद की वस्तुओं का..
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