लो, आज उन्ने, हम पे, बेवजह के इल्जाम जड़ दिये
बस्ती में, .... नियम-क़ानून होते, तो हम तोड़ते ??.
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हम क्या हैं - क्या नहीं हैं, ये तो 'सांई' ही जानता है 'उदय'
पर आज, ............. हम अपने ही शहर में अजनबी हैं ?
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यकीनन यकीं मानिये, ......... हम, ....... हर जाँच को तैयार हैं
पर, कोई एक ऐंसी एजेंसी तो सुझाव, जिसके तुम मालिक न हो ?
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आज सिंहासन ... क्यूँ सन्न है, क्यूँ मौन है 'उदय'
क्या, आम आदमी के सवाल ... मुनासिब नहीं हैं ?
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गर आज, वो, चूक गए, उनको पटकनी देने से
तो कल ..... वो, उल्टा उन्हें ही चित्त कर देंगे ?
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आज सिंहासन ... क्यूँ सन्न है, क्यूँ मौन है 'उदय'
क्या, आम आदमी के सवाल ... मुनासिब नहीं हैं ?
क्या खूब लिखा है आपने |
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