तमाम कोशिशें हमारी, ................. नाकाम रही थीं 'उदय'
कुछ ऐंसी कशिश थी उनमें, कि हम खुद को रोक नहीं पाए ?
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ये कैसा मुल्क है 'उदय', जहां चोर-उचक्कों की बादशाहत है
क्या गरीबों-मजलूमों के सिबाय, यहाँ कोई और नहीं रहता ?
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शायद, अपने ही शब्दों में दम-ख़म नहीं है 'उदय'
क्योंकि हरेक शख्स शहर का बहरा नहीं होगा ?
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