"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
न छाँव है ....... न गाँव है....... ekdam dil se.....
छाँव और गाँव दोनों ही बसते हैं पिता के व्यक्तित्व में...
बहुत खूब...
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3 comments:
न छाँव है .......
न गाँव है....... ekdam dil se.....
छाँव और गाँव दोनों ही बसते हैं पिता के व्यक्तित्व में...
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