Tuesday, June 26, 2012

सत्ता के लोभी ...


रहम नहीं है 
शरम नहीं है 
ये सत्ता के लोभी हैं !
मान बेच दें 
शान बेच दें 
बचा-कुचा ईमान बेच दें !!
देश है क्या -
इनकी नज़रों में ... 
ये तो -
घर-औ-द्वार बेच दें ? 

1 comment:

Arvind Jangid said...

सत्ता के लोभी होते ही ऐसे हैं...सही कहा आपने. बहुत ही सुन्दर रचना, आभार.